वृंदावन कॉरिडोर Corridor: विकास बनाम विरासत की बहस के बीच सीएम योगी का आश्वासन

Vrindavan Corridor

वृंदावन कॉरिडोर Corridor: विकास बनाम विरासत की बहस के बीच सीएम योगी का आश्वासन

वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर Corridor परियोजना इन दिनों राजनीतिक और स्थानीय स्तर पर गरमागरम बहस का विषय बनी हुई है. जहां एक ओर राज्य सरकार इस परियोजना को श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अत्यंत आवश्यक बता रही है, वहीं स्थानीय लोग और कुछ विपक्षी दल इसके विरोध में खड़े हैं.

इन सब के बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं लोगों को आश्वस्त किया है कि कॉरिडोर Corridor का निर्माण वृंदावन के विकास और लाखों श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अपरिहार्य है, और किसी भी स्थानीय नागरिक को बेघर नहीं किया जाएगा.

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कॉरिडोर की आवश्यकता: बढ़ती श्रद्धालु संख्या और सीमित व्यवस्थाएं

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और संत समाज का स्पष्ट मत है कि वृंदावन में कॉरिडोर की अब बेहद आवश्यकता है। श्री बांके बिहारी मंदिर में प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। वर्तमान में, मंदिर परिसर और आसपास की गलियों में इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को समायोजित करने की व्यवस्थाएं अत्यंत सीमित हैं. संकरी कुंज गलियां, जो वृंदावन की पारंपरिक पहचान हैं, बढ़ती भीड़ के कारण कई बार अव्यवस्था का कारण बन जाती हैं।

सीएम योगी ने जोर देकर कहा कि कॉरिडोर Corridor का निर्माण इसलिए किया जा रहा है ताकि अधिक संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। कॉरिडोर के निर्माण से मंदिर परिसर का आकार और भी अधिक बढ़ जाएगा, जिससे श्रद्धालु आसानी से और सुगमता से अपने आराध्य के दर्शन कर सकेंगे। यह परियोजना श्रद्धालुओं के अनुभव को बेहतर बनाने और सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

स्थानीय लोगों की चिंताएं और सीएम का आश्वासन

स्थानीय लोगों का मुख्य विरोध इस बात पर है कि कॉरिडोर Corridor के निर्माण से वृंदावन की कुंज गलियों का स्वरूप बदल जाएगा, जो उनकी पहचान और आध्यात्मिक महत्व का अभिन्न अंग हैं। उनका मानना है कि इन गलियों से छेड़छाड़ करना वृंदावन की आन-बान-शान के साथ समझौता करने जैसा है। हालांकि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्थानीय लोगों की इन चिंताओं को समझते हुए उन्हें पुख्ता आश्वासन दिया है।

उन्होंने स्पष्ट किया है कि सरकार लोगों को उनके स्थान पर घर के बदले घर और दुकान के बदले दुकान प्रदान करेगी। इसके लिए स्थान भी चिन्हित कर लिए गए हैं।सीएम ने कहा, “स्थानीय लोगों को अब परेशान होने की आवश्यकता नहीं है कि वे कहां जाएंगे, वे बेघर नहीं होंगे। सरकार की ओर से उन्हें सभी आवश्यक सुविधाएं दी जाएंगी और उन्हें किसी भी प्रकार की सुविधा से वंचित नहीं रखा जाएगा।” यह आश्वासन स्थानीय समुदाय के बीच व्याप्त आशंकाओं को कम करने का प्रयास है।

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संत समाज का समर्थन और विपक्षी विरोध पर सवाल

हाल ही में, श्री बांके बिहारी मंदिर परिसर के अध्यक्ष और सभी संत समाज ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की. इस मुलाकात में उन्होंने सीएम को बताया कि वृंदावन में कॉरिडोर की अत्यधिक आवश्यकता है और यह श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखकर लिया गया एक जनहितैषी फैसला है।

उन्होंने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि विपक्षी पार्टी, विशेषकर कांग्रेस, इस परियोजना का विरोध प्रदर्शन कर रही है. संत समाज का मानना है कि ऐसे सामाजिक हितकारी कार्यों में विपक्षी दलों को सरकार के साथ मिलकर चलना चाहिए, क्योंकि यह फैसला किसी निजी स्वार्थ के लिए नहीं, बल्कि जनता के हित के लिए है।

बांके बिहारी मंदिर परिसर के अध्यक्ष फुलडोर बिहारी ने भी कॉरिडोर की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि कॉरिडोर से सुविधाओं में वृद्धि होगी और मंदिर का दायित्व भी बढ़ेगा. उन्होंने कांग्रेस के विरोध को उनकी दोहरी मानसिकता और वोट बैंक की राजनीति का परिणाम बताया।

संत समाज का कहना है कि कांग्रेस का इस तरह का विरोध प्रदर्शन लोगों को भड़का रहा है और उनके स्वार्थ को दर्शाता है. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि लोगों को मकान के बदले मकान और दुकान के बदले दुकान देने के लिए स्थान चिन्हित कर लिए गए हैं, और गलियारे के निर्माण के लिए मैप भी तैयार कर लिया गया है, जिसे जल्द ही मीडिया के माध्यम से दर्शाया जाएगा।

संक्षेप में, वृंदावन कॉरिडोर परियोजना विकास और विरासत के बीच एक नाजुक संतुलन साधने का प्रयास है. सरकार का लक्ष्य लाखों श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएँ प्रदान करना है, जबकि स्थानीय समुदाय अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

सीएम योगी का आश्वासन और संत समाज का समर्थन इस परियोजना को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जबकि विपक्षी दलों के विरोध को राजनीतिक चश्मे से देखा जा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह परियोजना किस प्रकार से आगे बढ़ती है और क्या यह सभी हितधारकों की अपेक्षाओं पर खरी उतर पाती है।

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