पटौदी ट्रॉफी Trophy को लेकर विवाद, भड़के दिग्गज | तेंदुलकर के एतराज़ पर ECB ने लिया बड़ा फैसला
नई दिल्ली/लंदन – भारत और इंग्लैंड के बीच खेली जाने वाली प्रतिष्ठित पटौदी ट्रॉफी Trophy को लेकर क्रिकेट जगत में हलचल मच गई है। इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने हाल ही में घोषणा की थी कि 20 जून से शुरू हो रही पांच टेस्ट मैचों की सीरीज़ को अब “तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी” Trophy के नाम से जाना जाएगा। यह फैसला क्रिकेट इतिहास के दो दिग्गजों – भारत के सचिन तेंदुलकर और इंग्लैंड के जेम्स एंडरसन – को सम्मानित करने के उद्देश्य से लिया गया था।
हालांकि, इस फैसले के बाद पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर, क्रिकेट समुदाय के कई वरिष्ठ सदस्य और खुद तेंदुलकर ने आपत्ति जताई। तेंदुलकर ने कहा कि पटौदी नाम भारत और इंग्लैंड के बीच क्रिकेटीय संबंधों का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक हिस्सा है, और इसे हटाना अनुचित होगा।
पटौदी ट्रॉफी Trophy का इतिहास
पटौदी ट्रॉफी Trophy की शुरुआत 2007 में हुई थी, जब इंग्लैंड और भारत के बीच टेस्ट श्रृंखला को इस नाम से औपचारिक रूप से मान्यता दी गई। यह नाम भारत के पूर्व कप्तान मंसूर अली खान पटौदी और उनके पिता इफ्तिखार अली खान पटौदी के योगदान को सम्मानित करने के लिए चुना गया था। खास बात यह है कि दोनों पटौदी ने भारत की ओर से टेस्ट कप्तानी की और इंग्लैंड में काउंटी क्रिकेट भी खेला।
तेंदुलकर ने जताया एतराज़
BCCI के सूत्रों के अनुसार, जब ECB ने ट्रॉफी Trophy का नाम बदलने की घोषणा की, तो तेंदुलकर ने स्वयं बोर्ड से संपर्क किया और कहा कि पटौदी नाम को बरकरार रखा जाना चाहिए, क्योंकि यह दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों और योगदान का प्रतीक है। यह सिर्फ एक ट्रॉफी Trophy का नाम नहीं, बल्कि एक क्रिकेट विरासत है।
गावस्कर और अन्य दिग्गजों की प्रतिक्रिया
भारत के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने इस फैसले की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि “इतिहास से छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। पटौदी परिवार का भारत और इंग्लैंड दोनों की क्रिकेट में अमूल्य योगदान रहा है।” कई पूर्व खिलाड़ी और फैंस ने सोशल मीडिया पर भी ट्रॉफी Trophy के नाम में बदलाव का विरोध किया।
ECB का बदला फैसला
लगातार आलोचनाओं और तेंदुलकर तथा जय शाह के हस्तक्षेप के बाद ECB ने आंशिक रूप से अपने निर्णय को बदला। अब यह तय किया गया है कि टेस्ट सीरीज़ के विजेता कप्तान को ‘पटौदी मेमोरियल मेडल’ से सम्मानित किया जाएगा।
इस तरह, जबकि सीरीज़ का नाम “तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी” रहेगा, लेकिन पटौदी परिवार की विरासत को बनाए रखने के लिए मेडल उसी नाम से दिया जाएगा।
क्यों चुना गया तेंदुलकर-एंडरसन का नाम?
ECB का कहना है कि ट्रॉफी को नया नाम देने का उद्देश्य दो महान खिलाड़ियों को सम्मानित करना है। सचिन तेंदुलकर टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक रन (15,921) बनाने वाले खिलाड़ी हैं, वहीं जेम्स एंडरसन 700 से अधिक विकेट लेने वाले दुनिया के सबसे सफल तेज गेंदबाजों में गिने जाते हैं। ऐसे में दोनों देशों के आधुनिक युग के सितारों को एक नए रूप में सम्मानित किया जाना इस बदलाव का आधार था।
आगे की राहें
पटौदी ट्रॉफी Trophy को लेकर हुआ विवाद बताता है कि क्रिकेट केवल एक खेल नहीं, बल्कि यह भावनाओं, इतिहास और विरासत का हिस्सा है। ECB द्वारा पटौदी मेडल को बरकरार रखने का फैसला सराहनीय है, जो यह सुनिश्चित करता है कि नवीनता और इतिहास दोनों को एकसाथ सम्मान दिया जाए।
अब देखना यह है कि 20 जून से शुरू हो रही भारत-इंग्लैंड सीरीज़ में कौन इस ऐतिहासिक मेडल और नई ट्रॉफी का हकदार बनता है।
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