बहुमंजिला इमारतों मे रहने वालो के लिए जी का जंजाल बनी लिफ्ट, गौतम बुध नगर विकास समिति ने मुख्यमंत्री से लिफ्ट एक्ट को पारित करवाने की करी मांग।

बहुमंज़िला इमारतों में आवागमन के लिये लिफ्ट का प्रयोग किया जाता है जिसे बच्चे से लेकर बुजुर्गों तक इस्तेमाल की जाती है, या यू कहा जा सकता है की यह बहुमंज़िला इमारतो में रहने वालों के लिये एक लाइफ लाइन है। हमारे देश में तकनीकी ख़राबी की वजह से लिफ्ट अटकने , गिरने की अनेकों घटनाएँ होती रहती है इसके परिणाम स्वरूप देश के क़रीब ग्यारह राज्यो में लिफ्ट अधिनियम पारित हुआ है किंतु दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश में अभी तक लिफ्ट एक्ट पारित नहीं हुआ है जबकि प्रदेश में सबसे ज़्यादा लिफ्ट में होने वाली सबसे ज़्यादा दुर्घटनाये गौतम बुद्ध नगर ज़िले में होती आयी है।

जैसा कि आप सभों को पता होगा कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट और गाजियाबाद समेत राज्य के तमाम जिलों में हाउसिंग सोसाइटीज हैं जिनमें करोड़ों लोग निवास कर रहे हैं। इन लोगों को हाईराइज इमारतों में आवागमन करने के लिए लिफ्ट और एलिवेटर पर निर्भर रहना पड़ता है।

उत्तर प्रदेश में अभी तक इन लिफ्ट और एलीवेटर से जुड़ी व्यवस्थाओं व संचालन को नियमित करने के लिए कोई कानून उपलब्ध नहीं है तथा उत्तर प्रदेश में लिफ्ट एक्ट 2018 से लंबित है।

दूसरी ओर बिल्डर हाईराइज इमारतों का निर्माण करने के दौरान लिफ्ट लगाता है और दशकों के बाद कब्जा देता है। इसलिए ज्यादातर लिफ्ट पुरानी हो जाती हैं और नियमित रखरखाव की आवश्यकता होती है। दूसरी बड़ी समस्या यह है कि इन लिफ्ट की वारंटी और गारंटी समाप्त हो चुकी होती है।

हमारे शहरों में हर दूसरे दिन लिफ्ट से जुड़ा कोई ना कोई हादसा हो रहा है इन हादसों में कई लोगों की मौत हो चुकी है, कुछ दिनों पूर्व एक महिला की मृत्यु हुई थी उसके बाद कंस्ट्रक्शन साईट पर क़रीब आठ मजदूरो को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।
साथ ही अब तक बड़ी संख्या में लोग विकलांग हुए हैं छोटे बच्चे और बुजुर्ग तो लिफ्ट में सवार होने से डरते हैं और आम आदमी में लिफ्ट्स को लेकर मेंटल ट्रॉमा बढ़ रहा है।

राज्य में सबसे ज्यादा लिफ्ट, एलीवेटर और एस्केलेटर्स नोएडा में ही इस्तेमाल हो रहे हैं। अब राज्य के मेरठ, इलाहाबाद, बनारस, झांसी, प्रयागराज, बरेली, मुरादाबाद, आगरा और राज्य की राजधानी लखनऊ में भी बड़े पैमाने पर लिफ्ट, एलिवेटर और एस्केलेटर का इस्तेमाल हो रहा है लिहाजा, अब यह एक राज्यव्यापी समस्या बन चुकी है।

जानकारी के मुताबिक लिफ्ट एक्ट में कुल 22 प्रावधान किए गए हैं। इसके चार प्रावधान जिनमें बिना मंजूरी लिफ्ट लगाने, लिफ्ट की जांच न कराने या जांच अधिकारी को रोकने, दुर्घटना को छिपाने, जान बूझकर लापरवाही बरतने पर सजा हो सकती है। लिफ्ट या एस्केलेटर लगाने के लिए सरकार द्वारा तय नियामक संस्था से मंजूरी लेनी होती है। लिफ्ट का नियमित रख रखाव इत्यादि बिंदु सम्मलित है।

हमारी संस्था गौतम बुध नगर विकास समिति ने ज़िले के जनप्रतिंधियों, लोक प्रतिनिधियों समेत मुख्य मंत्री आदित्य नाथ, प्रधान मंत्री कार्यालय, संयुक्त सचिव भास्कर पांडेय, लोक निर्माण मंत्री जतिन प्रसाद को पत्र लिख कर लिफ्ट एक्ट को पारित करवाने की माँग की है जिसके परिणाम स्वरूप उत्तर प्रदेश की विधान सभा में लिफ्ट एक्ट पर अध्याधेश बनाने पर चर्चा की जा रही है।

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