गोरखपुर Expressway एक्सप्रेसवे लिंक: उद्घाटन के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का योगी सरकार पर तीखा तंज
हाल ही में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के उद्देश्य से गोरखपुर एक्सप्रेसवे लिंक का लोकार्पण किया। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में निरीक्षण भी किया और एक जनसभा को संबोधित करते हुए बताया कि कैसे यह एक्सप्रेसवे Expressway लिंक बेहतर कनेक्टिविटी के माध्यम से समय की बचत करेगा। हालांकि, इस उद्घाटन के तुरंत बाद, समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सीएम योगी आदित्यनाथ पर तीखा तंज कसते हुए कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं, जिससे प्रदेश की राजनीति में एक नई बहस छिड़ गई है।
अखिलेश यादव का आरोप: “यह Expressway एक्सप्रेसवे नहीं, बल्कि चार लेन वाला राजमार्ग है”
गोरखपुर एक्सप्रेसवे Expressway लिंक के लोकार्पण के बाद, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आजमगढ़ में एक जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव पर सीधा निशाना साधते हुए सपा की तुलना दाऊद इब्राहिम की पार्टी से कर दी। सीएम के इस बयान के बाद, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की भी तीखी प्रतिक्रिया सामने आई।
अखिलेश यादव ने दावा किया कि योगी सरकार जिसे “गोरखपुर Expressway एक्सप्रेसवे लिंक” बता रही है और कनेक्टिविटी का एक बेहतर साधन मान रही है, वह वास्तव में कोई Expressway एक्सप्रेसवे नहीं, बल्कि केवल एक चार लेन वाला राजमार्ग है। उन्होंने सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने इस परियोजना में हुए भ्रष्टाचार पर कोई बात नहीं की, बल्कि अनावश्यक रूप से विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधा जा रहा है। अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को Expressway “एक्सप्रेसवे और राजमार्ग में अंतर तक नहीं पता”, और वे केवल “बड़े बोल” बोलते हैं, जबकि ज़मीन पर कोई ठोस काम नहीं किया जाता।

Expressway एक्सप्रेसवे की लागत पर उठाए सवाल: किसानों के मुआवजे पर भी घेरा
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गोरखपुर एक्सप्रेसवे Expressway लिंक की लागत पर भी गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि पहले के समय में किसी भी राजमार्ग या एक्सप्रेसवे Expressway की लागत जानने के लिए अखबारों को खंगालना पड़ता था, लेकिन उन्होंने “नागपालों” (संभवतः सत्ता पक्ष के विरोधियों या सूचना देने वालों) का धन्यवाद किया, जिन्होंने उन्हें यह जानकारी दी कि इस एक्सप्रेसवे लिंक को 7000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है।
अखिलेश यादव ने तर्क दिया कि यदि इतनी भारी लागत (7000 करोड़ रुपये) से यह एक्सप्रेसवे Expressway लिंक बनाया गया है, जबकि किसानों का कुल मुआवजा केवल 2 करोड़ रुपये है, तो सरकार के पास फिर भी 5 करोड़ रुपये बच जाते, जिससे वे एक उचित चार लेन वाला राजमार्ग बना सकते थे। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने “अपनी वाहवाही” के लिए इसे Expressway “एक्सप्रेसवे लिंक” का नाम दिया और 7 करोड़ रुपये की लागत दिखाकर जनता को “पागल” बनाया। उनका बार-बार यही सवाल था कि “योगी जी जानते ही नहीं हैं कि एक्सप्रेसवे Expressway और राजमार्ग में अंतर क्या होता है?”

सपा अध्यक्ष ने कांग्रेस सरकार पर भी साधा निशाना
अखिलेश यादव ने अपने बयान में केवल योगी सरकार को ही नहीं घेरा, बल्कि पिछली कांग्रेस सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यदि योगी सरकार को चार लेन वाले राजमार्ग और एक्सप्रेसवे Expressway में अंतर नहीं पता, तो वे राज्य का विकास कैसे करेंगे? उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस की सरकार ने भी राजमार्ग और एक्सप्रेसवे बनाकर “मानकों से खिलवाड़” किया था और दिए गए मानक के अनुसार सड़कें नहीं बनाई थीं।
हालांकि, अखिलेश यादव ने वर्तमान सरकार को कांग्रेस से भी “ज्यादा चालाक” बताया। उन्होंने कहा कि इस बार की सरकार ने “मानकों के साथ-साथ अधिकारियों के साथ भी खिलवाड़ किया है”, जो भ्रष्टाचार के नए आयामों को दर्शाता है।
योगी सरकार का पलटवार: पिछली सरकारों पर साधा निशाना
दूसरी ओर, योगी सरकार ने गोरखपुर एक्सप्रेसवे Expressway लिंक का उद्घाटन करने के बाद आजमगढ़ में जनसभा को संबोधित करते हुए पिछली सरकारों पर जमकर निशाना साधा। लाखों की संख्या में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों ने सड़कों का हाल इतना बुरा कर रखा था कि “समझ ही नहीं आता था कि सड़कों में गड्ढे हैं या गढ़ों में सड़क।”
उन्होंने दावा किया कि पिछली सरकारों के कार्यकाल में लोगों को आवाजाही में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था और उन्हें बड़ी मशक्कत के साथ यात्रा करनी पड़ती थी। लेकिन योगी सरकार ने अब एक्सप्रेसवे Expressway के साथ-साथ अच्छे राजमार्गों का भी निर्माण कराया है, ताकि लोगों को यात्रा में कोई असुविधा न हो और उनके समय की भी बचत हो सके। यह बयान अखिलेश यादव के आरोपों के सीधे जवाब के रूप में देखा जा रहा है, जो विकास और कनेक्टिविटी के मुद्दे पर दोनों प्रमुख पार्टियों के बीच बढ़ती राजनीतिक खींचतान को दर्शाता है।
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