बरसाना के ब्रह्मांचल पर्वत एवं रावल की अद्भुत शोभा दे मंत्रमुग्ध हुए लोग

ब्रज में भाद्र मास का महत्व बहुत अधिक है। भाद्र मास कृष्ण पक्ष की
अष्टमी को श्री कृष्ण जन्म उत्सव मनाया जाता है और श्री कृष्ण जन्माष्टमी के ठीक 15 दिन बाद राधा
रानी का प्राकट्योत्सव मनाया जाता है। मुख्य आयोजन बरसाना और रावल में होते हैं। जिसके दर्शनों के
लिए भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है। रावल और बरसाना को बेहद ही खूबसूरत तरीके से सजाया गया है।
बरसाना में शनिवार की सुबह 1100 किलो पंचामृत से अभिषेक किया जाएगा।


बरसाना में आज जो हम श्रीराधारानी के विग्रह के दर्शन कर रहे हैं वह स्वयंभू है, यानी स्वयं प्रकट है।
श्रीविग्रह लाडिलेय लाल भगवान ने नारायण भट्ट को ब्रज के रहस्य और तीर्थों को उजागर किया। बताया
जाता है कि सबसे प्रथम राधाकुण्ड में श्री राधा कुंड और श्याम कुंड को प्रकट किया था। वहीं बरसाना में
श्रीजी (श्रीराधारानी) के दिव्य विग्रह को ब्रह्मांचल पर्वत पर और ऊंचा गांव में श्री रेवती रमण और श्री
बलदेव जी के श्रीविग्रह को प्रकट किया।

उन्हीं के द्वारा प्रकट व सेवित श्रीराधारानी के दिव्य विग्रह का
अभिषेक कराया जाता है। आज भी नारायण भट्ट के अनुसार व परंपरा से सेवा पूजा होती चली आ रही
है। जन्माभिषेक को देखने के लिए ब्रजवासी ही नहीं देश विदेश से लाखों श्रद्धा देर शाम तक पहुंच चुके
थे। कई दिन पहले से ही बरसाना की धर्मशाला, रेस्टोरेंट के कमरे बुक हो गये थे। कई दिन पहले से ही
ब्रज में श्री राम जन्मोत्सव की धूम दिखाई देने लगती है। श्रीराधारानी मंदिर में कई दिन पहले से ही
समाज गायन शुरू हो गया था। श्रीजी मंदिर की कई दिन पहले से ही भव्य सजावट व बरसाना की गली
गली की भव्य सजावट की गई थी। जगह जगह श्रद्धालुओं के लिए भंडारे व खाने पीने की व्यवस्था होने

लगती है। पुलिस प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था में अपनी पुरी तरह मुस्तैद रहा। पूरे बरसाना को राधाष्टमी पर
कई जोन व सैक्टरों में बांट कर सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की गई थी। जाम से श्रद्धालुओं को बचाने के
लिए कई कई किलोमीटर दूर वाहनों को रोक दिया जाता है। बरसना में जगह जगह सेल्फी पॉइंट बनाए
गए हैं। मुख्य मार्गों की झिलमिलाती लाइटों से सजावट की कई थीै। श्री राधाष्टमी के बाद से ही बरसाना
व बरसाना क्षेत्र में आठ दिन तक लगातार मेला लगता है।

भिन्न लीलाओं का दर्शन होते हैं। जो द्वापर
काल में भगवान श्री राधा कृष्ण ने की थीं। बरसाना मंदिर के पुजारी प्रवीण गोस्वामी ने बताया कि
कार्यक्रम की शुरुआत रात 11 बजे से होगी। पहले गुरु परिवार आएगा जिन्हें फूलों की बरसात और
शहनाई की मधुर ध्वनि के साथ मंदिर तक लाया जाएगा। यह गुरु परिवार नारायण भट्ट जी के वंशज हैं


वह है। नारायण भट्ट जी ने लाडली जी का प्राकट्य किया था। इसके बाद श्री जी महल में रात दो बजे
समाज गायन होगा। उसके बाद ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 4 बजे महाअभिषेक होगा। एक घंटे तक अभिषेक
चलेगा फिर आधा घण्टे बाद मंगला आरती होगी और फिर मंदिर के पट सुबह साढ़े सात बजे तक बंद
कर दिया जायेगा। साढ़े सात बजे श्रृंगार आरती होगी और डेढ़ बजे तक बधाई गायन होगा और बधाई
लुटाई जायेगी।

राधा अष्टमी पर्व पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए सुरक्षा के कड़े
इंतजाम किए गए हैं। बरसाना को सात जोन और 16 सेक्टर में विभाजित किया गया।

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