Prayagraj Mahakumbh में आस्था के साथ अर्थव्यवस्था का भी संगम

Prayagraj Mahakumbh, कारोबार और रोजगार एक-दूसरे के पूरक हैं। अगरकारोबार होगा तो रोजी-रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इनमें से कुछ रोजगार स्थायी होंगे और कुछअस्थायी। इससे संबंधित लोगों का जीवन पहले से खुशहाल हो जाएगा। प्रयागराज में आयोजितमहाकुंभ भी इसका अपवाद नहीं है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद कह चुके हैं कि पौष पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक करीब डेढ़ महीनेके इस आयोजन में लगभग 40 करोड़ श्रद्धालु, पर्यटक आएंगे। अगर औसतन एक पर्यटक अपनीबुनियादी जरूरतों पर लगभग 5,000 रुपए खर्च करे तो इस दौरान करीब दो लाख करोड़ रुपए काकारोबार होगा।


एक्सपर्ट्स के अनुसार करीब डेढ़ महीने का यह कारोबार संबंधित लोगों के लिए आठ महीने केकारोबार के बराबर होगा। इसका बड़ा हिस्सा करीब (25 हजार करोड़ रुपए) टैक्स के रूप में सरकारको मिलेगा। साथ ही देश की जीडीपी में भी इसका .03 फीसद का योगदान होगा। प्रयाग महाकुंभ केदौरान कारोबार के साथ रोजगार के भी अवसर बढ़ेंगे। इस बाबत विभिन्न एजेंसियों के रुझान भीआने लगे हैं।स्टैफिंग रिक्रूटमेंट सर्विसेज और फर्स्ट मेरिडियन ग्लोबल के मुताबिक महाकुंभ के दौरान 6 लाख सेलेकर 10 लाख अस्थायी रोजगार सृजित होंगे। इसमें महाकुंभ की बसाहट और इन्फ्रास्ट्रक्चर संबंधीअन्य काम, लॉजिस्टिक्स, ट्रांसपोर्टेशन, डेटा एनालिस्ट, डिजिटल सुरक्षा, ब्रांडिंग, मार्केटिंग के लिएबैनर, पोस्टर और फ्लेक्स, सोशल इन्फ्लूएंसर, हॉस्पिटैलिटी, इवेंट्स मैनेजमेंट आदि के क्षेत्र शामिल
हैं।


इसके अलावा स्थानीय स्तर पर प्रसाद बेचने वालों, नाई, पुरोहित, सिंदूर, बिंदी, चूड़ी, और टिकुलीआदि बेचने वाले सबके हिस्से में कुछ न कुछ आना है। यकीनन यह औसत दिनों से कई गुना होगा।यही स्थिति कमोबेश स्थायी दुकानदारों की भी होगी। कारोबार और रोजगार का यह क्रम विश्व केसबसे बड़े धार्मिक आयोजन प्रयागराज के महाकुंभ तक ही सीमित नहीं है। अगर काशी में श्री काशीविश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर बनने के बाद वहां 2023 में करीब 10 लाख पर्यटक आए तो यकीननउन्होंने काशी और प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया होगा।यही स्थिति अयोध्या की भी है।

राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यहां पर्यटकों और श्रद्धालुओं केआने का सारा रिकॉर्ड टूट गया। यह मौजूदा समय में हर रोज आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं कीसंख्या के हिसाब से देश के प्रमुख धर्म स्थलों में नंबर एक पर है। जिस अयोध्या में 2016 से पहलेहर साल औसतन 2.83 लाख पर्यटकों और श्रद्धालुओं का आगमन होता था। अब वहां रोज लगभगएक से डेढ़ लाख लोग आ रहे हैं। सितंबर 2024 तक अयोध्या में करीब 13.50 करोड़ पर्यटक एवंश्रद्धालु आ चुके थे।
अनुमान है कि साल के अंत तक यह संख्या 16 करोड़ के आसपास रही होगी। अयोध्या के कारोबारीखुद कहते हैं कि अब हम महीने में हजार की जगह लाख कमा ले रहे हैं। किसी खास अवसर परहोटल पहले से बुक हो जाते हैं।

ऑक्यूपेंसी बढ़ने के साथ कुछ नए होटल भी खुले हैं। कुछ ने खुद कोरिनोवेट कराया है, कुछ ने विस्तार कर अपनी ऑक्यूपेंसी भी बढ़ाई है। ताज सहित कई नामचीन ब्रांडवहां होटल बनाने जा रहे हैं। कई और पाइपलाइन में हैं। कारोबार और रोजगार के हिसाब से हरधार्मिक स्थल की यही स्थिति है। यही नहीं एक जगह की प्रगति का लाभ दूसरी जगह को भी मिलरहा है।

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