Mahakumbh में आने वाले श्रद्धालुओं को शुद्ध वायु औरवातावरण मिले इसके लिए योगी सरकार ने प्रयागराज में कई स्थानों पर घने जंगल विकसित किएहैं। प्रयागराज नगर निगम ने दो साल में जापानी तकनीक ‘मियावाकी’ से कई ऑक्सीजन बैंक डेवलपकिए हैं, जो घने वन का रूप ले चुके हैं, जिससे पर्यावरण संरक्षण में काफी मदद मिल रही है। इनपौधों से हरियाली फैलने के साथ ही एयर क्वालिटी में भी सुधार हुआ है।इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के पूर्व प्रोफेसर और ‘हरियाली गुरु’ केनाम से प्रसिद्ध डॉ. एनबी सिंह ने बताया कि शहरीकरण के चलते प्रदूषण और तापमान दोनों मेंइजाफा हुआ है। ‘
मियावाकी’ तकनीक ऐसे में सबसे बेहतर है। गर्मियों में दिन और रात के तापमानमें काफी अंतर आ गया है। ये जंगल उस अंतर को कम करेगा। इसके साथ ही जैव विविधता, जमीनकी उर्वरा क्षमता और पशु-पक्षी बढ़ेंगे। इतने बड़े जंगल से 4-7 डिग्री तापमान में कमी आती है।प्रयागराज नगर निगम ने इस तकनीक से शहर में 10 से अधिक स्थानों पर पौधरोपण किया है।पिछले 2 साल में 55,800 वर्ग मीटर में पौधे लगाए गए हैं। अकेले नैनी औद्योगिक क्षेत्र में ही 1.2लाख पौधे लगाए गए हैं।
नगर निगम के सहायक अभियंता गिरीश सिंह ने बताया कि यह तकनीक तेजी से घने वन विकसितकरती है।
Mahakumbh
हमने नैनी औद्योगिक क्षेत्र में करीब एक साल पहले पौधे लगाए थे, जो अब 10 से 12फीट के हो गए हैं। जापानी तकनीक ‘मियावाकी’ में हम प्रति वर्ग मीटर में 3 से 4 पौधे लगाते हैं।यहां से औद्योगिक कचरा हटाकर बुरादा और जैविक खाद के जरिए मिट्टी को पौधों के अनुकूलकिया। महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु इसे देख भी सकते हैं।जूनियर इंजीनियर आरके मिश्रा बताते हैं कि इस वन से तापमान में भी कमी आई है। जहां भी जगहकम है, वहां हम इस तकनीक से इस तरह के जंगल विकसित कर सकते हैं।दरअसल, प्रयागराज में ‘मियावाकी प्रोजेक्ट’ की शुरुआत करीब 4 साल पहले 2020-21 में की गईथी।
छोटे स्तर पर की गई इस शुरुआत को साल 2023-24 में बड़ा रूप दिया गया, जब नैनीऔद्योगिक क्षेत्र के नेवादा सामोगर में 34,200 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में 63 प्रजातियों के 1,19,700पौधे लगाए गए। यह इलाका तब औद्योगिक कचरे से पटा हुआ था। वहां स्थानीय उद्योगों सेनिकलने वाला कचरा फेंका जाता था। इसके चलते हर ओर गंदगी और बदबू थी। इससे आसपास केगांव के लोगों के साथ ही आने-जाने वाले लोग भी परेशान रहते थे। इसे देखते हुए ‘मियावाकीप्रोजेक्ट’ के तहत पौधे लगाए गए।इसके साथ ही शहर के सबसे बड़े कचरा डंपिंग यार्ड बसवार में भी इसी के तहत पौधरोपण कियागया।
यहां कचरा साफ कर 9 हजार वर्ग मीटर में 27 प्रजातियों के 27 हजार पौधे लगाए गए हैं।अब ये पौधे काफी घने जंगल का आकार ले चुके हैं।
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