भारत पहली बार पायथियन गेम्स फेस्टिवल 2023 की मेजबानी
करके इतिहास रचने के लिए तैयार है। इस असाधारण तीन दिवसीय फेस्टिवल का उद्देश्य प्राचीन ग्रीक
पैन हेलेनिक पायथियन गेम्स को पुनर्जीवित करना है। इंटरनेशनल पायथियन काउंसिल और पायथियन
काउंसिल ऑफ दिल्ली के तत्वावधान में, 19-21 दिसंबर तक नई दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में मेगा
इवेंट होगा।
10 से अधिक देशों के 5 हजार से अधिक कलाकारों और एथलीटों की भागीदारी के साथ यह
महोत्सव कला, संस्कृति और खेल का एक भव्य महोत्सव बनने के लिए तैयार है। फेस्टिवल में नृत्य,
संगीत, गायन, कविता, युद्धकला, पारंपरिक खेल और खेल जैसी विभिन्न श्रेणियों को शामिल किया
जाएगा।
फुटबॉल, संगीत, नृत्य, कविता, और गायन प्रतियोगिताओं में अफ्रीकी टीमों की भागीदारी जैसे
महत्वपूर्ण आकर्षण होंगे। इन सभी श्रेणियों में बड़ी संख्या में दिल्ली के सरकारी/सरकारी सहायता प्राप्त
स्कूलों के छात्रों के भाग लेने की भी उम्मीद है। यह त्यौहार प्राचीन ग्रीक पैन हेल-लेनिक पायथियन खेलों
को पुनर्जीवित करने में एक प्रमुख कदम का प्रतीक है। 1630 वर्षों के अंतराल के बाद आधुनिक
पायथियन खेलों के रूप में पुनर्जन्म हुआ है। मॉडर्न पायथियन खेलों के संस्थापक, डेल्फिक इंडिया ट्रस्ट
के मैनेजिंग ट्रस्टी, अंतरराष्ट्रीय पायथियन परिषद के संस्थापक महासचिव बिजेन्द्र गोयल ने कहा,
“पिछले वर्ष ग्रीस के डेल्फी आर्थिक मंच में पायथियन खेलों की अवधारणा को प्रस्तुत किया गया था, जो
1894 के बाद ओलंपिक्स की तरह इस महोत्सवमें रूप में आएगा। यह कला और खिलाड़ियों के लिए एक
वैश्विक ऑनलाइन और शारीरिक मंच के रूप में कार्य करेगा,
जिसमें वे अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने
और साझा करने का संवाद कर सकते हैं।” पायथियन परिषद ऑफ इंडिया के अध्यक्ष, श्री बीएच अनिल
कुमार ने पायथियन खेलों को लेकर बढ़ते वैश्विक समर्थन की हाल की स्थिति पर प्रकाश डालते हुे कहा
“यह केवल प्रतिभा का उत्सव ही नहीं है,
बल्कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग और समझ को बढ़ावा देने का एक
मंच भी है।” उन्होंने भारत में ग्रीस के दूतावास के मिनिस्टर काउंसलर के हालिया बयान का भी हवाला
दिया, जिसमें आधुनिक पायथियन गेम्स और भारत की कला, संस्कृति और खेल की समृद्ध विरासत के
महत्व की प्रशंसा की गई है।