पश्चिम एशिया में भारतीय मांस, डेयरी, बासमती चावल, गेहूं उत्पादों की भारी मांग

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के खाद्य उद्योग ने आयात के लिए भारत
सरकार से समर्थन मांगते हुए कहा है कि पश्चिम एशिया के देशों में भारत के मांस (चिकन), डेयरी
उत्पाद, बासमती चावल, संरक्षित (फ्रोजन) समुद्री सामान और गेंहू उत्पादों की भारी मांग है।
यूएई उद्योग ने कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के साथ अधिक
समन्वय के लिए भारत सरकार का समर्थन मांगा है। उसने सुचारू प्रमाणन प्रक्रियाओं और मानकों के
सामंजस्य की भी मांग की है।


उन्होंने कहा कि भारतीय उत्पादों की उच्च गुणवत्ता वाली पैकेजिंग से भारत की कंपनियों को बहरीन,
कुवैत, ओमान सल्तनत, कतर, सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों में खाद्य तथा इससे जुड़े उत्पादों के
निर्यात को बढ़ाने में मदद मिलेगी।


वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले सप्ताह अपनी यूएई यात्रा के दौरान इन आयातकों के
साथ विस्तृत चर्चा की। इस दौरान उन्होंने भारत से निर्यात बढ़ाने के तरीकों पर भी चर्चा की थी।
ग्लोबल फूड इंडस्ट्रीज एलएलसी के यूएई (फ्रोजन एंड बेवरेजेज) के बिक्री प्रमुख निसार थलंगारा ने कहा,
”भारत के लिए इन देशों में संरक्षित (फ्रोजन) उत्पादों के निर्यात की बहुत संभावनाएं हैं।”
ओमान के खिमजी रामदास समूह के एक प्रतिनिधि ने कहा कि वहां भारतीय बासमती चावल की भारी
मांग है और इसपर न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) कम करने से भारत को निर्यात बढ़ाने में मदद
मिलेगी।

सरकार वर्तमान में एमईपी को 1,200 डॉलर प्रति टन से घटाकर 850 डॉलर प्रति टन करने पर विचार
कर रही है।


जीसीसी (खाड़ी सहयोग परिषद) देशों के एक अन्य आयातक ने हलाल प्रमाणीकरण का मुद्दा उठाया।
भारत में एक सुस्थापित हलाल मांस प्रमाणन प्रणाली है।एलानासंस प्राइवेट लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक फौजान अलावी ने कहा कि भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) मांस उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने में मदद कर रहा है


अलावी ने कहा, ”हम भारत से यूएई तक अपना निर्यात बढ़ाने के अधिक अवसर देखते हैं।”
इसी तरह चोइथराम्स की प्रमुख (खुदरा खरीद) कीर्ति मेघनानी ने कहा कि उत्पादों की पैकेजिंग पर ध्यान
देने से भारतीय निर्यातकों को संयुक्त अरब अमीरात और अन्य खाड़ी देशों के साथ व्यापार बढ़ाने में
मदद मिलेगी।


ऐपकॉर्प होल्डिंग के चेयरमैन नितेश वेद ने सुझाव दिया कि यहां एपीडा कार्यालय स्थापित करने से
खाद्य उद्योग को मदद मिलेगी।


भारत-यूएई व्यापार समझौता पिछले साल मई में लागू किया गया था।
दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2021-22 में 72.9 अरब डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 84.9 अरब
डॉलर हो गया।

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