दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने आरोप
लगाया है कि राजधानी में प्रदूषण बढ़ने का कारण पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में फिर से
बढ़ोतरी होना है। तमाम दावों के बाद भी पंजाब में पराली जलने की घटनाओं में फिर से तेजी आई है।
यही नहीं, दिल्ली में कूड़ा आदि खुले में जलाने से पैदा हुई गैसों का भी प्रदूषण में हिस्सा काफी बढ़ गया
है। यही वजह है कि दिल्ली में फिर से सांसों का संकट पैदा हो गया है।
बिधूड़ी ने कहा कि पंजाब में रविवार को दीवाली के दिन 12 नवंबर को पराली जलाने की कुल 989
घटनाएं रिकॉर्ड हुई थीं। बारिश होने से दिल्ली को राहत की सांस मिली थी लेकिन सोमवार को फिर से
पंजाब में पराली जलने की घटनाएं लगभग दुगुनी हो गई। सोमवार 13 नवंबर को पंजाब में 1624 जगह
पर पराली जलाई गई। यही वजह है कि दिल्ली के प्रदूषण में पीएम 2.5 का हिस्सा भी रविवार के
मुकाबले सोमवार को बहुत ज्यादा हो गया। रविवार को यह 21 फीसदी था तो सोमवार को 34 फीसदी
हो गया। एयर क्वालिटी इंडेक्स भी दीवाली के दिन 218 था लेकिन दीवाली के अगले दिन रात को 400
को भी पार कर गया। आज प्रातः भी कई इलाकों में एक्यूआई 400 से ज्यादा रिकॉर्ड हुआ है। मुख्यमंत्री
अरविंद केजरीवाल पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए कुछ नहीं कर रहे जबकि दो
साल पहले जब पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार नहीं थी तो वह पंजाब सरकार को जी भर कर
कोसते थे।
बिधूड़ी ने कहा कि इस साल पंजाब में पराली जलने की सोमवार तक 26, 341 घटनाएं
रिकॉर्ड हो चुकी हैं जबकि आप सरकार इन पर पूरी तरह काबू पाने का दावा करती थी। अभी बड़े पैमाने
पर पराली जलाने की घटनाएं जारी रही हैं जिसका मतलब है कि यह आंकड़ा अभी और बढ़ेगा।
नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि दिल्ली के प्रदूषण में बायोमास जलने का शेयर भी लगातार बढ़ता जा रहा है।
सोमवार को यह 14.7 फीसदी था तो मंगलवार को करीब 23 फीसदी तक हो गया। इसका मतलब यह है
कि दिल्ली सरकार कूड़ा जलने की घटनाओं पर भी किसी तरह की रोक लगाने में नाकामयाब रही है।
दिल्ली सरकार के साथ-साथ नगर निगम में भी आम आदमी पार्टी की सरकार होने के बाद भी कूड़ा
जलना अत्यंत चिंताजनक है।
पंजाब में पराली और अब कूड़ा जलना दिल्ली सरकार की विफलताओं की
ही कहानी कह रहे हैं। बिधूडी़ ने कहा कि केजरीवाल और उनके मंत्री अपनी विफलताओं को छिपाने के
लिए दोष दूसरों के सिर मढ़ते रहते हैं लेकिन अगर मुख्यमंत्री और उनके साथियों के पास इन आंकड़ों का
कोई जवाब है तो उन्हें दिल्ली की जनता को देना चाहिए।