जिलाधिकारी कृतिका शर्मा ने जनपद सभी प्रधान एवं कृषक बन्धु से
अपील करते हुए बताया है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण नई दिल्ली तथा सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के
क्रम में पराली/फसल अपशिष्ट जलाना पूर्णतय: प्रतिबन्धित कर दिया गया है तथा इसे दण्डनीय अपराध
घोषित किया गया है। परालीध्फसल अपशिष्ट जलाने की घटना की पुष्टि होने पर 02 एकड़ तक के
कृषक पर रू0 2500/-प्रति घटना, 02 से 05 एकड़ तक के कृषक पर रू0 5000/-प्रति घटना तथा 05
एकड़ से अधिक के कृषक पर रू0 15000/-प्रति घटना अर्थ दण्ड जलाये जाने का प्राविधान है, साथ ही
घटना की पुनरावृत्ति होने पर कारावास एवं अर्थ दण्ड दोनों का प्राविधान किया गया है। जिलाधिकारी ने
बताया है
कि धान की परालीध्फसल अवशेष को जलाये जाने से वायु प्रदूषण, तापमान में बढोत्तरी हो रही
है, जिससे मानव स्वास्थ्य सम्बन्धी अनेक समस्यायें उत्पन्न हो रही हैं, साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति
तथा भूमि में पाये जाने वाले लाभदायक जीवाणु नष्ट हो रहे हैं, जिससे उत्पादन एंव उत्पादकता पर भी
विपरीत प्रभाव पड रहा है, लागत बढ रही है एवं उत्पादन घट रहा है। परालीध्फसल अपशिष्ट को
आधुनिक कृषि यंत्रों तथा मल्चर, रिवर्सेबुल, एम0बी0 प्लाउ, थ्रेडर, रोटावेटर, रोटरी स्लेसर, हैरो आदि यंत्रों
का प्रयोग कर खेत में मिलाकर खेत की उर्वरा शक्ति बढायी जा सकती है अथवा कम्पोस्ट पिट में
डालकर उसे सड़ाकर कम्पोस्ट खाद बनाया जा सकता है। खेतों अथवा कम्पोस्ट पिट में परालीध्फसल
अपशिष्ट को शीघ्र सड़ाने के लिए वेस्ट डी-कम्पोजर 20 ग्राम मात्रा को 200 लीटर पानी में घोलकर
छिडकाव किया जा सकता है। पराली को गौ-आश्रय स्थलों में संरक्षित निराश्रित पशुओं हेतु चारे एवं
बिछौना के लिए दान किया जा सकता है। शासन के निर्देश के क्रम में ग्राम पंचायत के माध्यम से
पराली एकत्र कराकर गौ-आश्रय स्थलों को पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है, साथ ही मनरेगा के
अन्तर्गत ग्राम पंचायतों के माध्यम से कम्पोस्ट पिट तैयार कराकर पराली को कम्पोस्ट पिट में डालकर
कम्पोस्ट तैयार किया जा रहा है।
आपसे अनुरोध है, कि अपनी ग्राम पंचायत में कृषकों को परालीध्फसल
अपशिष्ट को कदापि न जलाने दें अपितु उसको ग्राम पंचायत के माध्यम से गौ-आश्रय स्थलों को
भिजवायें अथवा उसका कम्पोस्ट बनाने में प्रयोग करें। जनपद में पराली/फसल अपशिष्ट जलाने की
घटनाओं की सेटेलाइट से मॉनिटरिंग की जा रही है, साथ ही ग्राम पंचायत, न्याय पंचायत, विकास खण्ड
एवं तहसीलवार क्षेत्रीय कर्मचारियों की ड्यूटी लगायी गयी है जो भ्रमण कर कृषकों को जागरूक एवं
निगरानी कर रहे हैं।
इस लिए आप सभी से अपील है, कि अपनी ग्राम पंचायत के कृषकों को उच्च
न्यायालय/राष्ट्रीय हरित अभिकरण (एन0जी0टी0)/शासन के उक्त आदेश की जानकारी देकर उन्हें
परालीध्फसल अपशिष्ट खेतों में न जलाकर उसका उपरोक्तानुसार समुचित उपयोग कराने का कष्ट करें
ताकि वायु प्रदूषण न बढे एवं निराश्रित पशुओं को चारे की व्यवस्था भी हो जाये, साथ ही आपकी ग्राम
पंचायत के किसी भी किसान भाईयों के विरूद्ध किसी भी प्रकार की दण्डात्मक कार्यवाही न करना पडे।