CM होने के बाद अगले सप्ताहदिल्ली के नए CM के नाम की घोषणा होगी। CM की रेस में पार्टी के कई बड़े चेहरे शामिलहैं, लेकिन इनमें सबसे आगे शिक्षा मंत्री आतिशी का नाम है। दिल्ली सरकार में अभी के समय सबसेअधिक मंत्रालय एवं महत्वपूर्ण जिम्मेदारी आतिशी के पास है। वह पार्टी को संभालने में जहां अहमभूमिका निभाती रही है तो वहीं केजरीवाल का भी विश्वास उन पर अधिक रहता है।आप के सूत्रों ने बताया कि दो दिन बाद केजरीवाल जब इस्तीफा देंगे तो उसके बाद पार्टी केविधायकों की बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें नए मुख्यमंत्री का नाम सर्वसम्मति से तय किया जाएगा।
CM Arvind kejriwal
रविवार को इस्तीफे का ऐलान करने के साथ ही CM Arvind kejriwal ने मनीष सिसोदिया केभी सरकार में शामिल नहीं होने की पुष्टि कर दी। इसके चलते दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के लिए जोदावेदार हैं, उनमें आतिशी, सुनीता केजरीवाल, सौरभ भारद्वाज, गोपाल राय और कैलाश गहलौत केनाम प्रमुख हैं। पार्टी का दावा है कि मुख्यमंत्री के नाम पर चर्चा के बाद अगले सप्ताह इसकी घोषणाहो जाएगी।विशेषज्ञों का कहना है कि केजरीवाल का इस्तीफा होने के साथ ही कैबिनेट भी भंग हो जाएगी। नएमुख्यमंत्री का नाम घोषित होने के साथ ही एक बार फिर नई कैबिनेट का गठन होगा।
कैबिनेट मेंमौजूद मंत्रियों में से अगर किसी को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो नई कैबिनेट में कम से कम दोनए चेहरे शामिल होंगे। राजकुमार आनंद के इस्तीफा देने के बाद से उनका मंत्री पद भी खाली है।सूत्रों की मानें तो अभी की कैबिनेट में मौजूद मंत्रियों में से लगभग सभी नई कैबिनेट में शामिलहोंगे।विधानसभा भंग करने की आवश्यकता नहींमुख्यमंत्री द्वारा जल्द चुनाव कराने की मांग के बाद विधानसभा को भंग करने को लेकर भी चर्चा होरही है।
इसे लेकर रविवार को आतिशी ने स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि दिल्ली में चुनाव कोछह महीने से कम समय रह गया है। ऐसे में चुनाव कराने के लिए विधानसभा भंग करने कीआवश्यकता नहीं है। केंद्र सरकार एवं चुनाव आयोग अगर सहमत हो तो चुनाव की घोषणा करसकती है।दूसरी बार होगा Arvind kejriwal का इस्तीफा CM पद से दूसरी बार इस्तीफा देने जा रहे हैं। इससे पूर्व वर्ष 2013 में बनाईगई सरकार को 49 दिनों तक चलाने के बाद 14 फरवरी 2014 को इस्तीफा दे दिया था।
यह सरकारकांग्रेस पार्टी के समर्थन से बनाई गई थी। वर्ष 2013 में उन्हें 28 जबकि कांग्रेस को 8 सीटेंविधानसभा में मिली थी। इस्तीफे के बाद वर्ष 2015 में आप पार्टी ने 67 सीट जबकि 2020 में 62सीटों के साथ दिल्ली में सरकार बनाई थी।
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