दिल्ली की अदालत ने सामाजिक कार्यकर्ता Medha Patkar कोमानहानि मामले में पांच महीने की कैद की सजा सुनाई है। साकेत की अदालत ने आपराधिकमानहानि मामले में मेधा पाटकर को मई महीने में ही दोषी करार दिया था।मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने पाटकर पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
अदालत नेअपने सामने मौजूद सबूतों और इस तथ्य पर विचार करने के बाद पाटकर को सजा सुनाई किमामला दो दशकों से अधिक समय तक चला। हालांकि, अदालत ने सजा को एक महीने के लिएनिलंबित कर दिया, ताकि पाटकर आदेश के खिलाफ अपील दायर कर सकें।तत्कालीन केवीआईसी अध्यक्ष एवं वर्तमान में दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से नर्मदा
बचाओ आंदोलन कार्यकर्ता मेधा पाटकर के खिलाफ मानहानि मामले में याचिका दायर की गई थी।
Medha Patkar
साकेत कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने पाटकर को आपराधिक मानहानि का दोषी पायाथा।हवाला लेनदेन में संलिप्तता का था आरोप24 मई को दिए गए अपने आदेश में साकेत कोर्ट ने पाया कि मेधा पाटकर ने वीके सक्सेना पर
हवाला लेनदेन में संलिप्तता का आरोप लगाया गया था। यह न केवल अपने आप में अपमानजनकथा, बल्कि उनके बारे में नकारात्मक धारणाओं को भड़काने के लिए भी गढ़ा गया था।
जानें क्या है मामला
साल 2003 सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ को लेकर सक्रिय थीं। उसीवक्त वीके सक्सेना नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज में एक्टिव थे। उन्होंने उस वक्त Medha Patkar की आंदोलन का तीखा विरोध किया था। मानहानि का पहला मामला इसी से जुड़ा हुआ है।मेधा पाटकर ने अपने और नर्मदा बचाओ आंदोलन के खिलाफ विज्ञापन को लेकर वीके सक्सेना केखिलाफ मानहानि केस किया था।
वहीं सक्सेना ने अपमानजनक बयानबाजी करने को लेकर Medha Patkarर मानहानि के दो केस दर्ज कराए थे।
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