गुजरात सरकार ने उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग की समस्या को
रोकने के लिए पारित अपने एक संकल्प में कहा है कि रैगिंग की घटनाओं के उन पीड़ितों या गवाहों को
भी उचित दंड दिया जाएगा जो इन घटनाओं की जानकारी नहीं देते।
सरकारी प्रस्ताव (जीआर) में कहा गया है कि रैगिंग के लिए सजा में कक्षाओं और शैक्षणिक
विशेषाधिकारों से निलंबन से लेकर निष्कासन तक शामिल होगा और साथ ही छात्र को इस हद तक
बर्खास्त भी किया जा सकता है कि उसे पांच साल तक किसी भी शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश नहीं दिया
जा सके।
इसमें अपराध करने वाले या अपराध को बढ़ावा देने वाले व्यक्तियों की पहचान नहीं होने पर सामूहिक
दंड का प्रावधान भी है।
उच्च शिक्षा विभाग द्वारा मंगलवार को जारी जीआर में कहा गया, ”नए विद्यार्थी जो रैगिंग की घटनाओं
के पीड़ित या गवाह के रूप में इसकी जानकारी नहीं देते, उन्हें भी उचित दंड दिया जाएगा।”
राज्य सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में रैगिंग की घटनाओं पर स्वत: संज्ञान लेते हुए दायर एक जनहित
याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को जीआर की एक प्रति मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल की
खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत की।
सरकार ने कहा कि यह जीआर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा
परिषद (एआईसीटीई) द्वारा जारी रैगिंग संबंधी नियमों पर आधारित है।