बेंगलुरु में जल संकट के बीच उपचारित जल से भरी जाएंगी सूखी झीलें


बेंगलुरु में जल संकट से निपटने के उद्देश्य से नगर निकाय बेंगलुरु जल आपूर्ति व सीवरेज बोर्ड
(बीडब्ल्यूएसएसबी) परीक्षण के बाद जल आपूर्ति के लिए झीलों की तलहटी के समीप एक नवीन
प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर फिल्टर बोरवेल भी लगाएगा और जल संयंत्रों का निर्माण करेगा।


बीडब्ल्यूएसएसबी के अध्यक्ष राम प्रसाथ मनोहर ने बताया कि यह कदम भारतीय विज्ञान संस्थान
(आईआईएससी) के साथ मिलकर उठाया गया है। इससे करीब 20-30 एमएलडी और पानी मिलने की
संभावना है।


सिंचाई विभाग पहले ही कोटे झील के जल का शोधन कर देवनहल्ली में जल आपूर्ति कर रहा है जहां
केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा स्थित है।


अधिकारियों ने बताया कि बेंगलुरु को 2,100 मेगालीटर प्रति दिन (एमएलडी) पेयजल की आवश्यकता है
जिनमें से 1,450 एमएलडी पानी कावेरी नदी से आता है। उन्होंने आश्वस्त किया कि जुलाई तक के लिए
जलाशयों में पर्याप्त पानी है।


उन्होंने बताया कि शहर की 650 एमएलडी की जल आपूर्ति बोरवेल के पानी से होती है। जिनमें वर्षा के
अभाव, भूजल के गिरते स्तर और भूजल के दोहन के कारण 250 एमएलडी की कमी है।
इस बीच, बीडब्ल्यूएसएसबी ने और जल आपूर्तिकर्ताओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पानी के टैंकर
मालिकों के लिए पंजीकरण की समयसीमा 15 मार्च तक बढ़ा दी है। अभी तक, 1,530 टैंकरों का
पंजीकरण हुआ है।


शिवकुमार ने कहा, ”शहर में करीब 50 फीसदी बोरवेल सूख गए हैं। हमने शहर के बाहर के स्रोतों से जल
आपूर्ति के लिए पानी के हजारों निजी टैंकरों को अपने कब्जे में लेने का फैसला किया है। हमने मूल्य
निर्धारण अधिकारियों पर छोड़ दिया है। दूध के जिन टैंकरों का इस्तेमाल नहीं किया गया है, उनका
प्रयोग पानी लाने में किया जाएगा।”


इस बीच, विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बेंगलुरु में जल संकट से निपटने में नाकाम रहने
के विरोध में सोमवार को शहर में प्रदर्शन करने की योजना बनायी है।
इसके जवाब में शिवकुमार ने कहा, ”अगर वे कोई रचनात्मक सुझाव देते हैं तो हम निश्चित तौर पर उन
पर गौर करने के लिए तैयार हैं।”

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