देश भर में रविवार को Karva Chauthका त्योहार पारंपरिक उत्साहऔर उल्लास के साथ मनाया गया। आम तौर पर करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएँ अपने पतिकी लंबी आयु के लिये रखती हैं, लेकिन इस बार करवा चौथ के व्रत को लेकर एक खास बात यहरही कि बड़ी संख्या में पुरुषों ने भी अपनी पत्नियों की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए व्रत रखा। इसतरह से यह परंपरा अब सिर्फ महिलाओं तक सीमित नहीं रही, बल्कि अब पुरुष भी बढ़-चढ़कर इसमेंहिस्सा लेने लगे हैं।
Karva Chauth
युवा पीढ़ी में इस व्रत को लेकर अधिक उत्साह देखने को मिला। युवाओं ने इस मामले में अपने बड़े-बुजुर्गों को भी पीछे छोड़ दिया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि आधुनिक पीढ़ी भी अपनी परंपराओंसे जुड़े रहने का महत्व समझती है।इस खास मौके पर बाज़ारों में जबरदस्त रौनक़ देखने को मिली। कपड़े, ज्वेलरी, संवरने का सामान,पूजा सामग्री, और उपहारों की जमकर खरीदारी बिक्री हुयी।कनफ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) के अनुमान के मुताबिक इस वर्ष करवा चौथ के अवसरपर 22 हज़ार करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार हुआ है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 30 प्रतिशत सेभी अधिक है। कैट ने दिवाली तक देश में 4.25 लाख करोड़ के व्यापार का अनुमान लगाया है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री एवं चाँदनी चौक के सांसद प्रवीन खंडेलवाल पिछले 20 वर्षों से अधिक समयसे Karva Chauth का व्रत रखते हैं और देश भर के व्यापारियों से यह व्रत रखने का लगातार आग्रह भीकरते रहे हैं।श्री खंडेलवाल ने कहा,“मैं 20 वर्षों से अधिक समय से मैं अपनी पत्नी के साथ करवा चौथ का व्रतरखता हूँ और इसका उद्देश्य न केवल उनके लंबे तथा स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करना है, बल्किपरिवार की खुशहाली, समृद्धि और आपसी सहयोग को भी बढ़ावा देना है।”
उन्होंने कहा कि इससे समानता और सम्मान को बढ़ावा मिलता है। साथ ही स्वास्थ्य और आत्म-नियंत्रण भी मज़बूत होता है तथा पारिवारिक एकता को भी बल मिलता है।उन्होंने कहा कि जब पतिऔर पत्नी दोनों मिलकर किसी धार्मिक अनुष्ठान का पालन करते हैं, तो इसका सकारात्मक प्रभावपूरे परिवार पर पड़ता है।
उन्होंने कहा, “मेरा यह विश्वास है कि इस तरह के सांस्कृतिक और धार्मिक अनुष्ठानों में पुरुषों कीभागीदारी से समाज में समानता तथा आपसी समझ को बढ़ावा मिलेगा। करवा चौथ का व्रत रखने सेन केवल पति-पत्नी का रिश्ता मजबूत होता है, बल्कि समाज को भी एक नया संदेश मिलता है किप्रेम, सम्मान और परिवार की भलाई के लिए दोनों का समान योगदान होना चाहिए।”
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