हरियाणा में हुए दो अलग-अलग हादसों में दो लोगों की जिंदगी
चली गई। इनके परिजनों के अंगदान के साहसी निर्णय की बदौलत दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों में
12 लोगों को नई जिंदगी मिली है।
एम्स की आर्बो विभाग की प्रमुख प्रोफेसर आरती विज के मुताबिक
राजस्थान के भरतपुर के रहने वाले 51 वर्षीय बच्चू और हरियाणा के फरीदाबाद की रहने वाली 40 वर्षीय
माया दो अलग-अलग हादसों में घायल होकर इलाज के लिए एम्स आए थे। डॉक्टरों के काफी प्रयासों के
बावजूद इन्हें बचाया नहीं जा सका।
इनके परिजनों की सहमति से दोनों के शरीर से एक दिल, दो लिवर,
चार किडनी, आंखों के चार कॉर्निया और एक व्यक्ति को त्वचा दान की गई। इनमें सात लोगों को तो
तुरंत अंग प्रत्यारोपण से नई जिंदगी मिली है, बल्कि आंखों के चार कॉर्निया और त्वचा को एम्स के नेत्र
और त्वचा बैंकों में सुरक्षित रखा गया है।
राजस्थान के भरतपुर निवासी बच्चू सिंह हरियाणा के पलवल में राजमिस्त्री हैं। एक दिन वे रेलवे ट्रैक पर
बुरी तरह घायल हो गए। उन्हें पहले एक नजदीकी अस्पताल और फिर वहां से एम्स दिल्ली के ट्रॉमा
सेंटर में भर्ती किया गया। यहां डॉक्टरों ने उन्हें बचाने का काफी प्रयास किया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं
जा सका और अंतत: उन्हें ब्रेन डेड घोषित किया गया।
इसके बाद अंग प्रत्यारोपण कोर्डिनेटर बलराम की
टीम ने उनके परिवार की काउंसलिंग की और उन्हें अंगदान के बारे में बताया तो परिवार राजी हो गया।
बच्चू के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा 18 साल की बेटी निशा और एक 17 साल का बेटा है। बेटी
निशा ने बताया कि पापा तो अब जिंदा नहीं रहे, लेकिन उनके अंगदान से कई लोगों को जिंदगी बच
जाए तो उससे अच्छा क्या है।
छत से गिर गई थीं माया, त्वचा दान की
फरीदाबाद निवासी 40 वर्षीय माया छत पर किसी काम से गई थीं, लेकिन वे अचानक पैर फिसलने से
नीचे गिर गई थीं। सिर में गंभीर चोट आने के बाद स्थानीय अस्पताल ने उन्हें एम्स के ट्रॉमा सेंटर भेजा
गया। यहां उन्हें ब्रेन डेड घोषित किया गया। डॉक्टर आरती विज ने कहा कि माया के परिजनों ने त्वचा
दान की भी सहमति दी। इस नेक काम से जले हुए मरीजों या त्वचा खो चुके मरीजों को नया जीवन
मिल सकेगा।
किडनी लगाकर जान बचाई
इन दोनों मरीजों से लिए गए दिल, दो किडनी और एक लिवर को एम्स में भर्ती मरीजों को प्रत्यारोपित
किया गया। वहीं एक किडनी और एक लिवर सेना के अस्पताल में भर्ती मरीजों को प्रत्यारोपित किया
गया। सफदरजंग अस्पताल में किडनी रोग विभाग के डॉक्टर हिमांशु वर्मा के नेतृत्व में एक मरीज को
किडनी लगाकर उसकी जान बचाई गई।