गायत्री तीर्थ में हुआ पितृ पक्ष का हुआ समापन

गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में सर्व पितृ अमावस्या पर निःशुल्क सामूहिक
तर्पण संस्कार हुआ। इस अवसर पर देश के कोने-कोने से आये हजारों श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की
याद करते हुए जलांजलि अर्पित की।


श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन उदय किशोर मिश्र के नेतृत्व में आचार्यों की टीम ने नौ पारियों में तर्पण
संस्कार कराया। एक पारी में करीब तीन सौ से अधिक श्रद्धालुओं ने श्राद्ध संस्कार में भागीदारी की।
मिश्र ने कहा कि मृत्यु के बाद शरीर के साथ-साथ आत्मा समाप्त नहीं हो जाती। उसका अपना अस्तित्व
बना रहता है। आत्मा अमर, अजर, सत्य और शाश्वत है। जिस प्रकार पुराने, जीर्ण वस्त्र त्याग कर
मनुष्य नये वस्त्र धारण करता है, उसी प्रकार आत्मा जीर्ण शरीर का त्याग करके नया शरीर धारण करती
है।


उन्होंने कहा कि जब जीवात्मा एक जन्म पूरा करके अपने दूसरे जीवन की ओर उन्मुख होती है, तब
जीव की उस स्थिति को भी एक विशेष संस्कार के माध्यम से बाँधा जाता है, जिसे मरणोत्तर संस्कार या
श्राद्ध कर्म कहा जाता है। यह संस्कार बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके बाद जीवात्मा का और कोई
संस्कार सम्पन्न नहीं किया जाता।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष पितृ पक्ष के प्रत्येक दिन महापुरुषों, संतों,
शहीदों, प्राकृतिक आपदाओं में असमय काल कवलित हुई मृत्मात्मों की सद्गति के साथ-साथ कन्या भ्रूण
हत्या में जो शिशु आत्माएं दिवंगत होती हैं, उनके निमित्त विशेष वैदिक कर्मकाण्ड के साथ जलांजलि दी
गयी।


शांतिकुंज के संस्कार प्रकोष्ठ के अनुसार श्राद्ध पक्ष में निरंतर चल रहे श्राद्ध में शांतिकुंज के अंतेवासी
कार्यकर्ताओं के अलावा जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उप्र, मप्र, बिहार, राजस्थान, तेलंगाना,
आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात सहित देशभर से आये हजारों श्रद्धालुओं ने अपने पितरों को श्रद्धांजलि
दी। यह क्रम पितृ अमावस्या तक निरंतर चलता रहेगा। इस के साथ ही श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की
याद में एक-एक पौधा रोपने का संकल्प लिया।

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