नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) उपाध्यक्ष सतीश
उपाध्याय ने बुधवार को डॉक्टर भीमराव रामजी अम्बेडकर की पुण्यतिथि “महापरिनिर्वाण दिवस” के
अवसर पर उन्हें नई दिल्ली नगरपालिका परिषद काउंसिल रूम, पालिका केंद्र, नई दिल्ली में फूलों द्वारा
श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर पालिका परिषद् के अन्य सदस्य विशाखा सैलानी, गिरीश सचदेवा,
अध्यक्ष-श्री अमित यादव, परिषद् के अधिकारी और कर्मचारी भी उपस्थ्तिथ रहे और उन्हें श्रद्धांजलि
अर्पित की।
इस अवसर पर श्री उपाध्याय ने कहा कि डॉक्टर भीमराव रामजी अम्बेडकर, जिन्हें संविधान का जनक
कहा जाता है, 06 दिसंबर 1956 को उनकी मृत्यु हुई थी और हर साल 06 दिसंबर के दिन को बाबा
साहेब की पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। श्री उपाध्याय ने कहा कि
भारतीय संविधान में उनकी मौलिक भूमिका के कारण अम्बेडकर जी को प्रसिद्ध रूप से जाना जाता है
क्योंकि भारतीय संविधान के मुख्य आर्किटेक्ट हैं। सामाजिक बुराई को खत्म करने के उन प्रयासों में
उल्लेखनीय थे और यही कारण है कि उन्हें भारत में दलितों का “मसीहा” कहा जाता है। उन्होंने समाज
से छूआछूत समेत कई प्रथाओं को खत्म करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
डॉ. अम्बेडकर, हमारे संविधान निर्माता, एक महान विचारक और समाज सुधारक थे और उनका आदर्श
भारत में समाजवाद, समानता, और न्याय के साथ एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र की रचना करना था।
उन्होंने न केवल विधायिका और शासन क्षेत्र में अपने योगदान से चमकीली पहचान बनाई, बल्कि उनके
माध्यम से हमें एक समर्पित और नैतिक दिशा की भी मिसाल मिलती है।
श्री उपाध्याय ने कहा कि महापरिनिर्वाण के दिन, आज, हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके
सपनों को पूरा करने का संकल्प लेते हैं। हमें यहां एक सजीव समाज बनाने के लिए एकजुट होकर काम
करना होगा, जो उनके आदर्शों को आगे बढ़ाने का समर्थ हो। उनके संविधान के माध्यम से दिए गए
अधिकारों और कर्तव्यों का समुचित उपयोग करके हमें एक उच्चतम समृद्धि और सामाजिक न्याय की
दिशा में अग्रसर होना चाहिए।
श्री उपाध्याय ने कहा कि प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण से भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्षों का जश्न मना रहे
हैं और आगामी 25 वर्षों के लिए लक्ष्य और योजना बनाने का समय है, जो हमें अपने देश को वैश्विक
मंच पर अग्रणी बनाएगा।
हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए ताकि हम भारत को एक शक्तिशाली
और समृद्ध राष्ट्र में बदल सकें और मानवता के उच्चतम मूल्यों के साथ आगे बढ़ सकें।