मराठा आरक्षण के मुद्दे को लेकर बुधवार को मनोज जारांगे की भूख हड़ताल का नौवां दिन रहा।
महाराष्ट्र के जालना जिले में कार्यकर्ता की स्वास्थ्य स्थिति की निगरानी कर रहे चिकित्सकों ने कहा कि उनके शरीर में पानी की कमी हो गई है और उन्हें अब नसों के जरिए तरल पदार्थ दिया जा रहा है।
स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि सुबह उनका रक्तचाप भी कम था। करीब 40 वर्षीय जारांगे 29
अगस्त से जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव में भूख हड़ताल पर हैं।
कार्यकर्ता ने मंगलवार को कहा कि अगर आरक्षण पर अनुकूल निर्णय नहीं लिया गया तो वह चार दिनों
के बाद पानी और तरल पदार्थ पीना बंद कर देंगे।
सरकार अब तक जारांगे से दो बार संपर्क कर उनसे अनशन वापस लेने का आग्रह कर चुकी है, लेकिन
उन्होंने पीछे हटने से इनकार कर दिया है।
चिकित्सकों की एक टीम नियमित रूप से उनकी स्वास्थ्य स्थिति की निगरानी कर रही है।
जालना के अतिरिक्त सिविल सर्जन डॉ. प्रताप घोडके ने कहा, ”जारांगे के शरीर में पानी की कमी हो गई
है और उनका क्रिएटिनिन स्तर थोड़ा अधिक है। हमने उन्हें नसों के जरिए तरल पदार्थ देना शुरू कर
दिया है।”
उन्होंने कहा, ”जारांगे के महत्वपूर्ण पैरामीटर ठीक हैं, लेकिन उनका रक्तचाप निचले स्तर पर है। आज
सुबह उनका बीपी 110 (सिस्टोलिक) और 70 (डायस्टोलिक) दर्ज किया गया। इलेक्ट्रोलाइट्स ठीक हैं और
उनकी हृदय गति भी संतोषजनक है।”
एक सितंबर को अधिकारियों ने जारांगे को अस्पताल ले जाने का प्रयास किया था लेकिन प्रदर्शनकारियों
ने ऐसा नहीं करने दिया। इसके बाद पुलिस ने अंतरवाली सरती गांव में हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने
के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े थे।
हिंसा में 40 पुलिसकर्मियों सहित कई लोग घायल हो गए थे और 15 से अधिक राज्य परिवहन बसों को
आग के हवाले कर दिया गया था। महाराष्ट्र के पर्यटन मंत्री गिरीश महाजन ने मंगलवार को मंत्रिपरिषद के अपने सहयोगियों संदीपन भुमरे और अतुल सावे के साथ जारांगे से मुलाकात की थी और उनसे अनशन समाप्त करने का अनुरोध किया
था।
महाजन ने जारांगे को अपने साथ मुंबई चलने और इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से बातचीत का
प्रस्ताव भी दिया लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया।
मुख्यमंत्री शिंदे ने सोमवार को कहा कि मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र कैसे जारी
किया जाए, इस पर एक समिति एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
वर्ष 2018 में जब देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री थे, तब महाराष्ट्र सरकार द्वारा मराठा समुदाय को नौकरियों
और शिक्षा में आरक्षण प्रदान किया गया था,
कुल आरक्षण पर 50 प्रतिशत की छूट की सीमा का हवाला देते हुए रद्द कर दिया था।