उत्तराखंड के उत्तरकाशी सुरंग में फंसे बिहार सहित अन्य राज्यों के
41 मजदूरों के सुरक्षित बाहर निकलने की सूचना मिलने के बाद बिहार के कई गांवों में दिवाली मनी।
इन 41 मजदूरों में बिहार के पांच मजदूर भी पिछले कई दिनों से फंसे थे।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी टनल में फंसे 41 मजदूरों के बाहर निकलने की खबर जैसे ही बिहार के
मुजफ्फरपुर जिले के गिजास गांव पहुंची, दीपक के घर और गांव वालों को दिवाली जैसी खुशी मिल गई।
पूरे गांव में दिवाली जैसा माहौल बन गया, पटाखे फूटने लगे, मिठाईयां बांटी गई।
इस गांव में इस साल दिवाली के दिन दिवाली नही मनाई गई थी। लेकिन मंगलवार की रात यहां दीपक
के घर और गांव में दिवाली जैसा उत्सव दिखा।
दीपक के पिता शत्रुघन राय, माता उषा देवी सहित पड़ोसियों ने काफी खुशी जाहिर की और भारत के
प्रधानमंत्री और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया।
शत्रुघ्न राय ने भगवान का शुक्रिया किया। इसके अलावा सारण जिले के खजुआन गांव में भी सभी के
चेहरे पर खुशियां लौट आई। यहां का सोनू भी 17 दिनों से सुरंग में फंसा था। यहां के लोगों को अब
सोनू के लौटने का इंतजार है।
सोनू के पिता सवालिया साह कहते हैं कि अब उसे कभी बाहर काम के लिए नहीं भेजूंगा। 14 दिन तक
हमलोग रोज मरते थे।इधर, तिलौथू के चंदनपुरा निवासी सुशील विश्वकर्मा की सुरंग से वापसी के बाद पूरा परिवार खुशी से
झूम उठा।बता दें कि सुरंग में फंसने वालों में बिहार के पांच मजदूर भी थे।
इधर, सुरंग से मजदूरों की सकुशल वापसी पर बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने खुशी
जताई। उन्होंने कहा है कि इस ऑपरेशन में लगे सभी लोगों के अथक परिश्रम, सुरंग में फंसे मजदूरों के
धैर्य एवं हिम्मत तथा उनके परिजनों एवं देशवासियों की दुआओं से ऐसा संभव हो सका है।
उन्होंने इस कार्य हेतु असाधारण और अविस्मरणीय प्रयास के लिए केन्द्र एवं उत्तराखंड सरकार को
साधुवाद दिया है।