जीबी पंत अस्पताल यूनियन द्वारा मजदूर दिवस मनाया

अस्पताल कर्मचारियों ने काली पट्टी बांध कर कार्य करते किया सरकार की
पीपीपी नीति के खिलाफ विरोध दर्ज कराया भोजन अवकाश के समय आम सभा करते हुए मई दिवस
के शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि दी।


सभा का संचालन जीबी पंत पैरामेडिकल टेक्निकल एम्पलाइज यूनियन चेयरमैन भारत वीर द्वारा
किया गया, जिसकी अध्यक्षता एन.पी.एच.ए के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार द्वारा की गई,
अस्पताल यूनियन के अध्यक्ष विकास सारस्वत, ओटी टेक्निकल यूनियन के अध्यक्ष पवन वर्मा, ने
सभा को संबोधित किया उन्होंने कहा, जी.बी.पंत अस्पताल के अंदर अस्पताल कर्मचारी की बहुत सी

मांगे लंबित है और कर्मचारी लगातार आंदोलित हैं प्रशासन द्वारा कई महीनों से कर्मचारियों की मांगों
के लिए प्रशासन द्वारा कोई भी सकारात्मक कदम नहीं उठाए जा रहे।


नेशनल पब्लिक हेल्थ एलाइंस के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार ने कहा कि 2023 को माननीय
उपराज्यपाल महोदय 10 सूत्री मांग पत्र दिया गया था जिसमें मरीजों और जनता के हित को देखते
स्वास्थ्य क्षेत्र के बजट 10% करते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र को विस्तारित और सृदृढ़ किया जाना चाहिए


नई सुविधाओं से लैस सरकारी अस्पताल खुलने चाहिए लेकिन इसके विपरीत सरकारी अस्पतालों में
प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारियों द्वारा लैब के रक्त सेंम्पल ले प्राइवेट लैब में भेजे जा रहे हैं। दिल्ली
सरकार अगर करना ही चाहती है तो प्राइवेट अस्पताल की ओपीडी और डाॅक्टर कंसंट्रेशन फ्री माफ
कर दे तब सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के कर्मचारीयों की कार्य दक्षता का पता चलेगा।

नेशनल पब्लिक हेल्थ एलाइंस दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार मुख्य
वक्ता के तौर पर बोलते हुए कहा कि सरकार द्वारा लैब कर्मचारियों की कम्पनी के द्वारा भरती
किए जाने का भी विरोध किया जबकि डीएसएसबी द्वारा द्वारा खाली पड़े पदों को भरने की प्रक्रिया


समय रहते नहीं अपनाई जाती खाली पड़े पदों को नहीं भरा जा रहा मरीजों के अनुपात के अनुसार ने
पद सृजित (क्रिएट )नहीं की जा रहे सालो से सेवा दे रहे संविदा कर्मियों को पक्का नहीं किया जा
रहा। स्वास्थ्य कर्मचारियों को कैशलेस सुविधा नहीं दी जा रही है।


उन्होंने कहा सरकार की मजदूर विरोधी, कर्मचारी विरोधी, जन विरोधी उदारीकरण, निजीकरण,
निगमीकरण, आउट सोर्स, पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप को सरकार लागू करते हुए श्रम कानूनों में
मजदूर विरोधी संशोधन कर रही है स्थाई रोजगार को पूरी तरह खत्म कर अप्रेंटिसशिप एक्ट में
बदलाव,


अपने वक्तव्य में कहा कोर्ट के आदेश के बाद भी ठेका मजदूरों का पक्का करने समान काम का
समान वेतन के बारे में कोई काम नहीं किया जा रहा मजदूरों को कानून के अनुसार सुविधा देने के
बदले सरकार न्यूनतम वेतन को भी कम करने की कोशिश कर रही है भवन निर्माण मजदूरों को


उनके कानून संबंध हक भी नहीं दिया जा रहा सार्वजनिक उद्योग को बेचने व जनकल्याणकारी सेवाएं
जैसा शिक्षा, इलाज, बिजली-पानी रेलवे, परिवहन को मुनाफा खोरों, पूंजीपतियों के हवाले कर रही है
महंगाई पर रोक नहीं लगा पा रही है बेरोजगारी बेतहाशा बढ़ रही है और मंहगाई की मार के कारण
जन जीवन को त्रस्त है।

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