प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) में कथित
अनियमितताओं से जुड़ी धन शोधन की जांच के तहत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी
सहायक बिभव कुमार और अन्य लोगों के परिसरों की मंगलवार को तलाशी ली।
आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
ऐसा आरोप है कि डीजेबी की निविदा प्रक्रिया में ”अनियमितताओं” से उत्पन्न रिश्वत को चुनावी फंड के
रूप में आम आदमी पार्टी (आप) को भेजा गया।
धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत की गयी छापेमारी के तौर पर ईडी के अधिकारियों ने
राष्ट्रीय राजधानी के करीब 10-12 परिसरों की तलाशी ली।
केंद्रीय एजेंसी के अधिकारी, बिभव कुमार, दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व सदस्य शलभ कुमार, पार्टी के
राज्यसभा सदस्य और राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष एन डी गुप्ता के कार्यालय तथा चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) पंकज
मंगल के अलावा पार्टी से जुड़े कुछ अन्य लोगों के परिसरों की तलाशी ले रहे हैं।
दिल्ली की मंत्री आतिशी ने आरोप लगाया कि ‘आप’ नेताओं के खिलाफ छापेमारी पार्टी को ”डराने और
चुप कराने” की कोशिश है।
यह छापेमारी दिल्ली जल बोर्ड के ठेके की प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं से जुड़ी है। इसी मामले में
प्रवर्तन निदेशालय ने सेवानिवृत्त मुख्य इंजीनियर जगदीश कुमार अरोड़ा और ठेकेदार अनिल कुमार
अग्रवाल को पिछले सप्ताह गिरफ्तार किया था।
एक विशेष पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) अदालत ने सोमवार को उनकी हिरासत की
अवधि पांच और दिन बढ़ा दी। प्रवर्तन निदेशालय ने दावा किया कि ”वृहद साजिश” का पता लगाने के
लिए उनसे हिरासत में और पूछताछ करने की आवश्यकता है।
धन शोधन का यह मामला डीजेबी में भ्रष्टाचार और रिश्वत के आरोपों पर सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी
से जुड़ा है।
सीबीआई की प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि अरोड़ा ने डीजेबी के कुछ ठेके 38 करोड़ रुपये में
‘एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड’ को दिए जबकि ”कंपनी ने तकनीकी योग्यता के मानदंड को पूरा नहीं
किया था।
ईडी के सूत्रों के अनुसार, जांच में पाया गया कि एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने कथित तौर पर फर्जी,
जाली और झूठे दस्तावेज जमा कर ठेका हासिल किया।
ऐसा आरोप है कि अरोड़ा को ”जानकारी” थी कि कंपनी तकनीकी योग्यता के मानदंड को पूरा नहीं करती
है।
सूत्रों ने बताया कि उन्हें नकद के रूप में और बैंक खातों में ”रिश्वत” भेजी गयी और उन्होंने यह कथित
रिश्वत बिभव, शलभ कुमार, पंकज मंगल और अन्य को भेजी।
ईडी की जांच में पाया गया कि डीजेबी के ठेके ”अत्यधिक उच्च दरों” पर दिए गए ताकि ठेकेदारों से
रिश्वत ली जा सके।
ईडी के विश्लेषण में पाया गया कि 38 करोड़ रुपये के ठेके में से केवल 17 करोड़ रुपये ठेके के काम में
खर्च किए गए और बाकी की धनराशि का ”विभिन्न फर्जी खर्चों की आड़ में गबन” किया गया।
केंद्रीय एजेंसी की यह कार्रवाई तब हो रही है जब दिल्ली की कैबिनेट मंत्री आतिशी ने एजेंसी को लेकर
एक बड़ा खुलासा करने का वादा किया था।