प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन के
मामले में पूछताछ के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक और समन जारी कर सकता
है।
आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। ईडी के सूत्रों ने दावा किया कि एक स्थानीय
अदालत ने प्रथम दृष्टया केजरीवाल को इस मामले में पूर्व में जारी नोटिसों की ‘अवज्ञा’ करने का दोषी
पाया है।
आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक 55 वर्षीय केजरीवाल ने सोमवार को छठी बार संघीय
एजेंसी के सामने पेश होने से इनकार कर दिया, जिसके बाद पार्टी ने कहा कि केजरीवाल को बार-बार
समन भेजने के बजाय ईडी को अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए। दिल्ली की एक अदालत ने
आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन के मामले में समन की अवज्ञा करने के लिए केंद्रीय एजेंसी द्वारा
दाखिल शिकायत के संबंध में केजरीवाल को 17 फरवरी को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने से छूट दी थी।
अदालत ने मामले की सुनवाई 16 मार्च के लिए निर्धारित की थी और केजरीवाल के वकील ने मामले की
अगली सुनवाई पर दिल्ली के मुख्यमंत्री के व्यक्तिगत तौर पर पेश होने का आश्वासन दिया था। ईडी के
सूत्रों ने बताया कि एजेंसी ने इस मामले में पूर्व में जारी किए गए तीन समन की ‘जानबूझकर अवज्ञा’
करने के लिए केजरीवाल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 174 के तहत अदालत में
शिकायत दर्ज कराई थी।
सूत्रों ने दावा किया कि अदालत ने शिकायत पर संज्ञान लिया और प्रथम दृष्टया स्वीकार किया कि
केजरीवाल ने अपराध किया है, जिसके लिए उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है। सूत्रों ने बताया कि
अदालत के सामने सवाल समन की वैधता का नहीं बल्कि केजरीवाल द्वारा जानबूझकर पूर्व में जारी
समन की अवज्ञा करने का गैरकानूनी कृत्य है। सूत्रों ने बताया कि इसलिए अदालत में मामला
विचाराधीन होने के बावजूद ईडी द्वारा केजरीवाल को समन जारी करना गलत नहीं है। मामले के संबंध
में ईडी द्वारा दाखिल आरोपपत्र में केजरीवाल के नाम का कई बार उल्लेख किया गया है।