शरद पूर्णिमा पर आधी रात के बाद लगे चंद्र ग्रहण का मोक्ष होने के
बाद तड़के तीर्थनगरी देवप्रयाग में गंगा स्नान के लिये श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। स्नान के बाद लोगों ने
प्राचीन रघुनाथ तथा अन्य मंदिरों में पूजा- अर्चना की।
बीते शनिवार शाम 4 बजे से तीस वर्ष बाद चंद्र
ग्रहण का सूतक काल के शुरू होते ही मां चंद्रबदनी, भगवान रघुनाथ सहित अन्य मंदिरों के कपाट
श्रद्धालुओं के लिये बंद कर दिए गए।
शरद पूर्णिमा की आधी रात के चंद्र ग्रहण का मोक्ष होने के बाद
रविवार तड़के देवप्रयाग संगम तट पर स्नान के लिये श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। रविवार सुबह
नियमित साफ सफाई के बाद सुबह 5 बजे भगवान राघुनाथ सहित अन्य मंदिरों के कपाट खुलने पर
श्रद्धालुओं ने मंदिरों में पहुंचकर पूजा अर्चना की।
रघुनाथ मंदिर के पुजारी समीर पंचपुरी ने श्रद्धालुओं
से पूजा अर्चना संपन्न करवाई। शनिवार रात 1 बजकर 5 मिनट से 2 बजकर 24 मिनट तक लगे
आंशिक चन्द्र ग्रहण के दौरान तीर्थ पुरोहितों, साधकों, साधु संतों द्वारा संगम स्थल, घाटों, उपासानों
स्थलों में जप पाठ किया, वहीं ग्रहण समाप्ति पर स्नान के बाद लोगों ने दान पुण्य भी किये गए।
देवप्रयाग संगम स्थल पर विभिन्न प्रदेशों के तीर्थ यात्रियों ने गंगा स्नान, पूजन और दान किया।