स्मार्ट मीटरों की खराबी के संबंध में केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की रिपोर्ट
के बाद उपभोक्ता परिषद ने सीबीआई जांच की मांग की। उपभोक्ता परिषद का कहना है कि 25000
करोड़ के टेंडर में बड़ा घोटाला होने को संदेह है। इसकी जांच जरूरी है, जिससे घोटालेबाजों पर शिकंजा
कसा जा सके।
उपभोक्ता परिषद ने कहा कि उत्तर प्रदेश में एक ही स्मार्ट मीटर की अलग-अलग दरों पर कैसे पावर
कॉरपोरेशन की केंद्रीय कार्य समिति मोहर लगा रही है, जबकि कभी भी एक केंद्रीय कार्य समिति में एक
सामग्री की अलग-अलग दरें अनुमोदित नहीं की जाती थी। किसके दबाव में ऐसा हो रहा है, इसका
सीबीआई जांच से ही खुलासा हो सकता है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि 12 लाख स्मार्ट
प्रीपेड मीटर के टेंडर सहित वर्तमान में 25000 करोड़ की लागत वाले टेंडर प्रक्रिया की सीबीआई जांच
कराई जाए। स्वत: स्पष्ट हो जाएगा, किस प्रकार तकनीकी कर्मियों को छुपा कर एक बार पुनः उत्तर
प्रदेश में 4जी तकनीकी के मीटर की खरीद होने वाली है,
जबकि अब वर्तमान में 5जी तकनीकी का
विस्तार हो रहा है। सबसे चौंकाने वाला मामला यह है कि उत्तर प्रदेश में अलग-अलग कंपनियों में 7308
से लेकर 8415 और अब पूर्वांचल में रुपया 9000 प्रति मीटर खरीद की तैयारी हो रही है। यह सबसे बड़ी
अनियमितता है
कि एक ही मीटर की कीमत उत्तर प्रदेश में अलग-अलग है, जो जांच का विषय है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश
कुमार वर्मा ने कहा कि जिस एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड का खामीयाजा आज उत्तर प्रदेश के 12
लाख उपभोक्ता भुगत रहे हैं। उसकी एक दूसरी कंपनी इन टेलीस्मार्ट पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम
में उच्च दर लगभग 8415 प्रति मीटर का टेंडर लिया है। यह सभी को पता है कि एनर्जी एफिशिएंसी
सर्विसेज लिमिटेड ही इसकी पैतृक कंपनी है। उसको टेंडर क्यों दिया गया।