प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को विज्ञान भवन में आयोजित
समारोह में काशी (वाराणसी) से अपने जुड़ाव के कई कारण गिनाए। उन्होंने कहा कि वे महामना मदन
मोहन मालवीय के व्यक्तित्व और विचारों से बहुत प्रभावित रहे हैं। महामना जैसे व्यक्तित्व सदियों में
होते हैं और फिर आने वाली पीढ़ियां सदियों तक उनसे प्रभावित रहती हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि महामना मालवीय राष्ट्र, राष्ट्र धर्म, आध्यात्म, शिक्षा, संस्कार के प्रतिमान थे।
उन्होंने कठिन व चुनौतीपूर्ण समय में देश के भविष्य के लिए बीज बोए। उसी का परिणाम है काशी हिन्दू
विश्वविद्यालय। यह इस बात का प्रमाण है कि अपनी विरासत को समेटे हुए हम आधुनिक ज्ञान को
प्राप्त करें।
मुझे खुशी है कि मुझे काशी की सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह भी मेरा सौभाग्य था
कि जब मैं 2014 में वाराणसी से चुनाव लड़ने का नामांकन दाखिल करने गया तो मेरे प्रस्तावक
मालवीय जी के परिवार से ही थे। आज काशी विकास की नईं ऊंचाइयों को छू रहा है, साथ ही वहां की
विरासत भी अपने प्राचीन चमक दमक और गरिमा के साथ स्थापित हो रही है।
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प्रोटोकॉल तोड़कर मिले वरिष्ठों से
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस कार्यक्रम में प्रोटोकॉल तोड़कर लोगों के बीच पहुंच गए। इससे एसपीजी को
एक समय में खासी मशक्कत करनी पड़ी। महामना मालवीय मिशन द्वारा आयोजित वांड्मय लोकार्पण
समारोह को संबोधित करने के बाद उनका वापस जाने का कार्यक्रम था। पर वे मंच की दूसरी ओर से
उतरकर पहली पंक्ति में बैठे लोगों से मिलने के लिए चल दिए।
दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी के स्वभाव से सुपरिचित वरिष्ठ पत्रकार ने मंच पर आसन ग्रहण करने के बाद
ही उनकी कान में कुछ बातें कहीं। उन्होंने प्रधानमंत्री को बताया कि सभागार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
के तपस्वी और वयोवृद्ध कार्यकर्ता प्रो. तुपकरी भी हैं। इसके साथ ही उन राजा-महाराजों के वंशज भी हैं,
जिन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए महामना के आह्वान पर अपनी तिजोरी खोल
दी थी। वे सब वंशज अपनी पारम्परिक वेश-भूषा में अलग ही नजर आ रहे थे। प्रधानमंत्री इसीलिए मंच
से उतर दूसरी तरफ गए, सबसे मिले, फोटो खिंचवाई, प्रो. तुपकरी का हाल-चाल पूछा।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री जब अपना भाषण समाप्त कर मंच पर आसीन हुए तो सभागार भारत माता
की जय और वन्देमातरम् के जयघोष से गूंज उठा। इसी बीच हर हर महादेव के उद्घोष हुए तो
प्रधानमंत्री मोदी ने भी मंच से दोनों हाथ उठाकर जयकारा लगाया-हर हर महादेव।