दिल्ली में आए दिन दिल्ली की सड़कों पर बस हादसे होते रहते हैं।
इस मामले पर दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (डीटीसी) की बस चालकों से बात करने पर उन्होंने हादसों के
पीछे कई वहज बताई, जिसमें प्रमुख वजह 8 घंटे में 100 से 120 किमी की दूरी तय करना है। उनका
कहना है कि टारगेट पूरा नहीं होने पर नौकरी जाने का खतरा रहता है। बस लेन खाली नहीं रहती।
सड़को पर ट्रैफिक ज्यादा होता है और इन सब समस्याओं के बाद भी मजबूरी में बस तेज रफ्तार से
चलानी पड़ती है। जिससे हादसे का डर बना रहता है।
डीटीसी बस चालकों ने बताई अपनी परेशानी: डीटीसी बस चालक अंकित ने बताया कि चालकों की ड्यूटी
8 घंटे की होती है। इस 8 घंटे में 100 से 120 किलोमीटर बस चलाना अनिवार्य है। दिल्ली की सड़कों
पर बस लेन क्लियर नहीं होती है। ऑटो और ई रिक्शा बस स्टैंड पर खड़े हो जाते हैं। जगह-जगह जाम
मिलता है। इन सब कारणों से 8 घंटे में 100 किलोमीटर की दूरी तय करना मुश्किल हो जाता है। यदि
टारगेट पूरा नहीं होता है तो नौकरी जाने का खतरा रहता है। नौकरी नहीं गई तो बस चलाने की ड्यूटी
से हटा दिया जाता है। ऐसे में बस को तेज रफ्तार से चलाना मजबूरी बन जाती है।
वहीं, चालक पूरन सिंह ने कहा कि यदि बस को टारगेट पूरा होने से पहले डिपो में लाते हैं तो वापस रूट
पर भेज दिया जाता है। इस वजह से बस को तेज रफ्तार से चलाना पड़ता है। जो हादसे का कारण बन
सकता है। वहीं, चालक परविंदर कुमार का कहना है कि सुबह-शाम सड़कों पर वाहनों का दबाव ज्यादा
होता है, जिससे कई बार यात्री बस स्टैंड से पहले ही बस रोक कर उतारने के लिए बोलते हैं। बस न
रोकने पर लड़ाई करते हैं। जगह-जगह बस रोकने से भी टारगेट पूरा करने में परेशानी होती है।
चालक दीपक ने बताया कि दिल्ली के सड़कों पर भीड़भाड़ ज्यादा होती है। अचानक आगे चल रहे वहां
ब्रेक लगा देते हैं, जिसकी वजह से भी कई बार हादसा हो जाता है। चालक जय भगवान ने बताया कि
कई बार यात्री बस स्टैंड से पहले ही जबरन बस रुकवा लेते हैं, जिसकी वजह से स्टैंड पर खड़े यात्रियों
को बस पकड़ने के लिए चलकर आना पड़ता है। जो बस चालकों की शिकायत करते हैं कि बस सही
जगह पर नहीं रुकती।
हर डेढ़ से 2 महीने में होती है चालकों के स्वास्थ्य की जांच: स्वास्थ्य खराब होने के कारण या गंभीर
बीमारी के कारण पूर्व में बस से सड़क हादसे हो चुके हैं। दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन की ओर से हर डेढ़
से 2 माह में चालकों के स्वास्थ्य की जांच कराई जाती है। इसके लिए हर डिपो में हेल्थ चेकअप कैंप
लगाया जाता है। साथ ही बेहतर बस संचालन के लिए दिल्ली ट्रैफिक पुलिस से ट्रेनिंग भी दिलाई जाती
है।
वहीं दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत का कहना है कि, “कुछ रूट पर 8 घंटे में 100 से 120
किलोमीटर बस चलनी होती है। यदि रूट पर ट्रैफिक बड़ा है या अन्य कोई समस्या है तो उसका रिव्यू
करते हैं। पीक आवर का हम लोग सर्वे भी करते रहते हैं। यदि कहीं शिकायत मिलती है कि 8 घंटे में
टारगेट पूरा करने में दिक्कत आ रही है तो उसे हम ब्रेक कर देते हैं।”