दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने यहाँ के एक
सरकारी स्कूल में दो नाबालिग लड़कों के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में दिल्ली पुलिस और शिक्षा
विभाग को नोटिस जारी किया है। सुश्री मालीवाल ने सोमवार को कहा, “यह बहुत चौंकाने वाली घटनाएं
हैं।
एक ही स्कूल के छात्रों ने अपने साथियों के साथ यौन उत्पीड़न किया। इससे भी अधिक चौंकाने वाली
बात यह है कि शिक्षकों और प्रिंसिपल ने कथित तौर पर छात्रों को चुप रहने के लिए कहा। अपराध करने
वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ ही, अधिकारियों को घटना की सूचना न देने के
लिए स्कूल के प्रिंसिपल और शिक्षकों के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की जानी
चाहिए।”
आयोग को दिल्ली के रोहिणी स्थित एक सरकारी स्कूल के दो नाबालिग छात्रों के साथ यौन उत्पीड़न की
सूचना मिली।
रोहिणी के एक सरकारी स्कूल में 8वीं कक्षा में पढ़ने वाले 13 वर्षीय लड़के का कथित तौर
पर स्कूल के अन्य छात्रों ने यौन उत्पीड़न किया। पीड़ित के अनुसार उसने कुछ दिन पहले अपने दो
शिक्षकों को अपनी आपबीती सुनाई, लेकिन उन्होंने उससे मामले के बारे में किसी को भी न बताने के
लिए कहा।
इसी प्रकार 12 साल के एक अन्य लड़के ने भी आरोप लगाया है कि छात्रों ने उसके साथ भी
यौन उत्पीड़न किया। उसने बताया है कि उसने जुलाई और अगस्त में अपने दो शिक्षकों को घटना के
बारे में बताया था, लेकिन उन्होंने उनसे इस घटना के बारे में किसी से बात न करने के लिए कहा था।
आयोग के अनुसार उपरोक्त मामलों में शाहबाद डेयरी थाने में दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई हैं।
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष ने दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग
को नोटिस जारी किया है। दिल्ली पुलिस को दिए अपने नोटिस में आयोग अध्यक्ष ने मामले में हुई
गिरफ्तारियों की स्थिति पूछी है। आयोग ने स्कूल के प्रिंसिपल और शिक्षकों के खिलाफ की गई कार्रवाई
का विवरण भी मांगा है और पूछा है
कि क्या कथित तौर पर अधिकारियों को मामले की सूचना नहीं देने
के लिए पॉक्सो अधिनियम के तहत उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इसके अलावा दिल्ली
महिला आयोग ने शिक्षा निदेशालय से मामले में जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा है। आयोग ने यह
भी पूछा है
कि क्या अधिकारियों को घटनाओं की सूचना नहीं देने के लिए स्कूल के प्रिंसिपल और
शिक्षकों को निलंबित किया गया है।
आयोग ने स्कूलों में छात्रों की काउंसलिंग और यौन उत्पीड़न के
मामलों की रिपोर्टिंग के लिए विभाग द्वारा बनाए गए दिशानिर्देशों का विवरण मांगा है।