ग्रेटर नोएडा में STP से ट्रीटेड वाटर को और स्वच्छ बनाने की पहल
ग्रेटर नोएडा, 24 जुलाई 2025: ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण शहर के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STP) से शोधित पानी को और अधिक स्वच्छ बनाने की दिशा में कदम उठा रहा है। प्राधिकरण सभी एसटीपी को तकनीकी रूप से अपग्रेड करने की योजना बना रहा है, ताकि ट्रीटेड वाटर को स्वच्छ जल के मानकों के अनुरूप बनाया जा सके। इसके लिए एक अतिरिक्त फिल्टर लगाया जाएगा, जिससे पानी में फीकल की मात्रा को 230 मिलीग्राम प्रति लीटर से घटाकर 100 मिलीग्राम प्रति लीटर से भी कम किया जा सके।

ग्रेटर नोएडा में वर्तमान में चार (STP) संचालित हैं, जिनकी क्षमता इस प्रकार है: बादलपुर (2 एमएलडी), कासना (137 एमएलडी), ईकोटेक-2 (15 एमएलडी), और ईकोटेक-3 (20 एमएलडी)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देशों के अनुसार, इन STP से शोधित पानी को और बेहतर बनाने का लक्ष्य है, ताकि टीडीएस, बीओडी, और सीओडी की मात्रा पेयजल के स्तर तक कम हो सके। इस तकनीकी उन्नयन से शोधित पानी का उपयोग औद्योगिक उत्पादन में भी संभव हो सकेगा, साथ ही जल प्रदूषण को रोकने में मदद मिलेगी।

प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार ने सीवर विभाग को इस तकनीक को शीघ्र लागू करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए आईआईटी दिल्ली से डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार करवाई जा रही है, जो अगले सप्ताह तक मिलने की उम्मीद है। सीवर विभाग के वरिष्ठ प्रबंधक विनोद शर्मा ने बताया कि इस अपग्रेडेशन की अनुमानित लागत 20 लाख रुपये प्रति एमएलडी है। इस तकनीक के लागू होने के बाद एसटीपी त्रिस्तरीय शोधन प्रणाली

(ट्रेसरी ट्रीटमेंट प्लांट) STP के रूप में काम करेंगे।एसीईओ का बयान:
“सभी एसटीपी को तकनीकी रूप से अपग्रेड करने की तैयारी है। आईआईटी दिल्ली से डीपीआर बनवाई जा रही है। हमारा लक्ष्य ट्रीटेड वाटर को इतना स्वच्छ बनाना है कि इसका उपयोग औद्योगिक उत्पादन में भी हो सके।”इस पहल से न केवल जल की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा। डीपीआर के आधार पर प्राधिकरण जल्द ही इस दिशा में अगले कदम उठाएगा।
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