भारतीय किसान संगठन का ELECTRICITY बिजली निजीकरण के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन
नोएडा: भारतीय किसान संगठन ने सेक्टर 19 सिटी मैजिस्ट्रेट कार्यालय के सामने मण्डल सचिव सुरेन्द्र वशिष्ठ के नेतृत्व में ELECTRICITY बिजली निजीकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। किसानों ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगें रखीं। प्रदर्शन के दौरान किसानों ने नारे लगाए, ELECTRICITY”बिजली बांध हमारे हैं, हम इन्हें नहीं बिकने देंगे। ये खंभे तार हमारे हैं, हम इन्हें नहीं बिकने देंगे। सस्ती ELECTRICITY बिजली, सस्ता पानी, इससे जुड़ी है मजदूर-किसानी।”

सुरेन्द्र वशिष्ठ ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का बिजली निजीकरण का फैसला किसानों, मजदूरों और आम उपभोक्ताओं के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि योगी सरकार पूंजीपति मित्रों के मुनाफे के लिए जनविरोधी नीतियां थोप रही है और विरोध की आवाज को दबाने पर तुली है। वशिष्ठ ने बताया कि केंद्र सरकार ने 2020 तक बिजली कानून में तीन बार संशोधन किए, जिन्हें ऐतिहासिक किसान आंदोलन के बाद रद्द करने का वादा किया गया था। लेकिन 2022 में सरकार ने वादा तोड़कर निजीकरण को बढ़ावा दिया।
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उन्होंने कहा कि जहां भी ELECTRICITY बिजली का निजीकरण हुआ, वहां बिजली की दरें 1-4.46 रुपये प्रति यूनिट से बढ़कर 17 रुपये तक पहुंच गईं। उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि 2009 में आगरा में टोरेंट कंपनी को बिजली सौंपने से सरकार को 8 साल में 4 हजार करोड़ का घाटा हुआ। इसी तरह, 1996 में वाजपेयी सरकार के एनरॉन समझौते से महाराष्ट्र सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ा। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में बिजली निगमों को बिना ELECTRICITY बिजली खरीदे निजी कंपनियों को 6761 करोड़ रुपये सालाना देना पड़ रहा है।
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भारतीय किसान संगठन ने 7 सूत्री मांगें रखीं, जिनमें दक्षिणांचल और पूर्वांचल वितरण निगमों के निजीकरण पर रोक, ग्रामीण उपभोक्ताओं को 300 यूनिट मुफ्त बिजली, ट्यूबवेलों को मुफ्त ELECTRICITY बिजली, स्मार्ट मीटर योजना रद्द करने, 18 घंटे बिजली आपूर्ति, अतिरिक्त शुल्कों को खत्म करने, महंगी ELECTRICITY बिजली खरीद बंद करने और संविदा कर्मियों को नियमित करने की मांग शामिल है।
प्रदर्शन में दीपू, पूरण, मुकेश, राजेश, रहीसुद्दीन, विकास, विष्णु सहित कई किसान मौजूद रहे।