पहलगाम हमले के बाद कड़ी सुरक्षा के साथ अमरनाथ Yatra/यात्रा का पहला जत्था रवाना

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पहलगाम हमले के बाद कड़ी सुरक्षा के साथ अमरनाथ Yatra/यात्रा का पहला जत्था रवाना

हाल ही में हुए पहलगाम हमले ने जम्मू-कश्मीर की स्थिति को पूरी तरह से बदल दिया था। जिस कश्मीर को जन्नत माना जाता था, वहाँ पर्यटकों ने आना-जाना बंद कर दिया था, जिससे स्थानीय लोगों पर भी गहरा आर्थिक प्रभाव पड़ा।

लेकिन अब, पहलगाम हमले के बाद, आज कड़ी सुरक्षा के बीच अमरनाथ Yatra/यात्रा की शुरुआत कर दी गई है और श्रद्धालुओं का पहला जत्था रवाना भी हो गया है। यह जम्मू-कश्मीर के लिए एक महत्त्वपूर्ण पल है, जो सामान्य स्थिति की वापसी और पर्यटन को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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कड़ी सुरक्षा के साथ अमरनाथ यात्रा का पहला जत्था रवाना

उपराज्यपाल ने श्रद्धालुओं के जत्थे को दिखाई हरी झंडी

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भी, वार्षिक अमरनाथ Yatra/यात्रा के प्रति भक्तों का उत्साह कम नहीं हुआ है। बुधवार सुबह, कड़ी सुरक्षा के बीच, तीर्थयात्रियों का पहला जत्था जम्मू से रवाना हुआ। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने स्वयं तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं।

उन्होंने इस अवसर पर सभी श्रद्धालुओं की सुरक्षित यात्रा की कामना की। 38 दिवसीय यह यात्रा औपचारिक रूप से गुरुवार, 3 जुलाई, 2025 को शुरू होगी, जो श्रावण पूर्णिमा पर समाप्त होगी। यह Yatra/ यात्रा जम्मू-कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का प्रतीक है और हर साल लाखों भक्तों को आकर्षित करती है।

 

पहलगाम हमले के बाद बिगड़ी जम्मू-कश्मीर की स्थिति

22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए दुर्भाग्यपूर्ण आतंकी हमले ने पूरे देश को सदमे में डाल दिया था। इस घटना के बाद, पर्यटकों ने सुरक्षा चिंताओं के कारण जम्मू-कश्मीर की यात्रा करना बंद कर दिया था। पर्यटन, जो जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, बुरी तरह प्रभावित हुआ, जिससे स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई। पर्यटक स्थलों पर सन्नाटा पसरा हुआ था, जो एक अलग ही निराशाजनक संदेश दे रहा था। इस दौरान, स्थानीय व्यवसायों, हस्तशिल्प और होटल उद्योग को भारी नुक़सान उठाना पड़ा। पर्यटकों का अभाव, स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया था। यह स्थिति, राज्य में पर्यटन पर निर्भर हज़ारों परिवारों के लिए चिंता का विषय थी।

हालांकि, अमरनाथ Yatra/यात्रा के लिए श्रद्धालुओं ने फिर से वापसी कर ली है। उपराज्यपाल द्वारा हरी झंडी दिखाने के साथ, कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच श्रद्धालुओं को रवाना किया गया है। यह दर्शाता है कि धार्मिक आस्था सुरक्षा चिंताओं से ऊपर है और लोग अपनी श्रद्धा के लिए जोखिम उठाने को तैयार हैं।

 

पहलगाम मामले पर उपराज्यपाल ने जताई गंभीर चिंता

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, जो अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं, ने बुधवार को पहलगाम और बालटाल में जुड़वां आधार शिविरों की ओर तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाई। इस अवसर पर उन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकवादी हमले पर गंभीर चिंता व्यक्त की।

इस हमले के बाद पैदा हुई सुरक्षा चिंताओं के कारण, पहलगाम और बालटाल दोनों अक्षों से Yatra/यात्रा मार्ग को नो-फ्लाई ज़ोन घोषित किया गया है, जिसका अर्थ है कि इन क्षेत्रों के ऊपर किसी भी विमान को उड़ने की अनुमति नहीं है। यह कदम सुरक्षा व्यवस्था को और पुख्ता करने के लिए उठाया गया है। दुर्भाग्य से, पहलगाम में हमला करने वाले आतंकवादियों का आज तक पता नहीं चल पाया है, जिससे सुरक्षा एजेंसियों पर उन अपराधियों को पकड़ने का दबाव बना हुआ है।

 

अमरनाथ Yatra/यात्रा के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम

श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, अमरनाथ Yatra/यात्रा के दौरान अभूतपूर्व सुरक्षा इंतज़ाम किए गए हैं। अर्धसैनिक बलों की लगभग 600 अतिरिक्त कंपनियों को तैनात किया गया है, जो यात्रा सुरक्षा के लिए अब तक की सबसे बड़ी तैनाती है। पहलगाम हमले के बाद कश्मीर में सुरक्षा स्थिति ने Yatra/यात्रा की ज़रूरतों को और बढ़ा दिया है।

अधिक संख्या में जवानों की तैनाती की गई है और श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जगह-जगह पुलिस बल तैनात किए गए हैं, ताकि किसी भी प्रकार की कोई भी असुविधा या ख़तरा श्रद्धालुओं को Yatra/यात्रा के दौरान न हो सके। ड्रोन, सीसीटीवी कैमरे और अन्य आधुनिक निगरानी उपकरणों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि Yatra/यात्रा मार्ग के हर कोने पर नज़र रखी जा सके। इस तरह की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि श्रद्धालु सुरक्षित और शांतिपूर्ण ढंग से अपनी यात्रा पूरी कर सकें।

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यात्रा के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम

Yatra/यात्रा पंजीकरण में आई गिरावट

एक ओर जहाँ पहलगाम हमले के बाद पर्यटकों ने जम्मू-कश्मीर में आना कम कर दिया था, वहीं दूसरी ओर, अमरनाथ Yatra/यात्रा को लेकर भी इस बार पंजीकरण की संख्या में काफी कमी देखी जा रही है। यह दिखाता है कि पर्यटकों और श्रद्धालुओं के मन में पहलगाम मामले का डर अभी भी काफी ज़्यादा है।

हालांकि, अब सरकार की ओर से सुरक्षा को लेकर काफी पुख़्ता इंतज़ाम किए गए हैं, लेकिन यह डर पंजीकरण संख्याओं में स्पष्ट रूप से दिख रहा है। अधिकारी अधिक यात्रियों को आकर्षित करने और उनके मन से डर निकालने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। सरकार ने जम्मू से बालटाल और पहलगाम में आधार शिविरों तक यात्रियों के लिए मुफ्त बस सेवा और अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं की हैं। इसके अतिरिक्त, श्रद्धालुओं के लिए चिकित्सा सुविधाएँ, जलपान स्टॉल और आपातकालीन सेवाएँ भी उपलब्ध कराई गई हैं, ताकि उनकी Yatra/यात्रा आरामदायक और सुरक्षित रहे। सरकार और श्राइन बोर्ड यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि Yatra/यात्रा सुचारु और सुरक्षित रूप से संपन्न हो।

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