यूपी 2027: अखिलेश यादव का मुख्यमंत्री बनने का ‘मास्टरप्लान’ – 108 कमजोर सीटों पर SP/सपा ने झोंकी ताकत

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यूपी 2027: अखिलेश यादव का मुख्यमंत्री बनने का ‘मास्टरप्लान’ – 108 कमजोर सीटों पर SP/सपा ने झोंकी ताकत

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव भले ही 2027 में होने हैं, लेकिन सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपनी चुनावी तैयारियों को अभी से धार देना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी (सपा) भी पूरी तरह से सक्रिय हो गई है।

पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा ने एक विशेष रणनीति अपनाई है, जिसके तहत उन 108 विधानसभा सीटों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जहां पार्टी को पिछले तीन विधानसभा चुनावों (2012, 2017, और 2022) में लगातार हार का सामना करना पड़ा था। माना जा रहा है कि यह रणनीति अखिलेश यादव को 2027 में सत्ता के शिखर पर पहुंचाने में अहम भूमिका निभा सकती है।

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अखिलेश यादव का मुख्यमंत्री बनने का ‘मास्टरप्लान’

कमजोर सीटों पर विशेष ध्यान

सपा ने उन 108 विधानसभा सीटों की पहचान की है, जहां उसका प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। इन सीटों में राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों की प्रमुख सीटें शामिल हैं:

  • मध्य यूपी: इलाहाबाद पश्चिम, लखनऊ कैंट
  • पूर्वी यूपी: बस्ती, देवरिया
  • पश्चिमी यूपी: नोएडा, गंगोह, शामली (जहां रालोद से गठबंधन के बावजूद पुरानी हार रही है)
  • ब्रज क्षेत्र: आगरा कैंट, एत्मादपुर
  • फिरोजाबाद: फिरोजाबाद शहर और टूंडला (जो SP/सपा का गढ़ माने जाते हैं, लेकिन यहां भी हार का सामना करना पड़ा)

फिरोजाबाद से SP/सपा सांसद अक्षय यादव के मजबूत प्रभाव के बावजूद इन सीटों पर मिली हार ने पार्टी को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने पर मजबूर किया है।

 

पर्यवेक्षकों की तैनाती और जमीनी रिपोर्ट

इन कमजोर सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए SP/सपा ने अनुभवी पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है। इन पर्यवेक्षकों का काम स्थानीय स्तर पर संगठन की स्थिति, कार्यकर्ताओं की सक्रियता, और पिछली हार के कारणों की गहन समीक्षा करना है। वे अपनी विस्तृत रिपोर्ट सीधे अखिलेश यादव को सौंपेंगे, ताकि उन कमियों को दूर किया जा सके और प्रभावी रणनीति बनाई जा सके।

SP/सपा प्रवक्ता सुधीर पंवार ने इस रणनीति पर प्रकाश डालते हुए कहा, “लोकसभा चुनाव 2024 में SP/सपा ने 37 सीटें जीतकर यह साबित किया है कि हमारा पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूला सफल रहा। अब 2027 के लिए हमारी रणनीति इन कमजोर सीटों पर संगठन को मजबूत करने और स्थानीय मुद्दों, जैसे बेरोजगारी, महंगाई, और कानून-व्यवस्था, को प्रमुखता से उठाने की है।”

फिरोजाबाद के पर्यवेक्षक ने हाल ही में दौरा किया और अपनी रिपोर्ट में संगठनात्मक ढीलापन और स्थानीय नेताओं के बीच समन्वय की कमी को हार का प्रमुख कारण बताया है। यह दर्शाता है कि SP/सपा अपनी आंतरिक कमियों को दूर करने के लिए गंभीर है।

 

लोकसभा में जीत से बढ़ा आत्मविश्वास और पीडीए फॉर्मूला

2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में SP/सपा का प्रदर्शन शानदार रहा, जहां उसने 37 सीटें जीतकर राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इस जीत से पार्टी का आत्मविश्वास काफी बढ़ा है। SP/सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “2024 के लोकसभा चुनाव में हमने यूपी में सबसे ज्यादा 37 सीटें जीतीं। यह आत्मविश्वास हमें 2027 में रिकॉर्ड तोड़ जीत की ओर ले जाएगा, बशर्ते हम अपनी कमजोरियों को दूर करें।”

SP/सपा ने अपने सफल पीडीए फॉर्मूले को 2027 के लिए भी अपनी मुख्य रणनीति बनाया है। अखिलेश यादव ने कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर पर पीडीए वोटरों को एकजुट करने और स्थानीय समस्याओं को उजागर करने का निर्देश दिया है। SP/सपा नेता रामवृक्ष यादव ने महोबा में एक बैठक में दावा किया, “2027 में सपा 360 से अधिक सीटें जीतकर सरकार बनाएगी। यह केवल चुनाव नहीं, बल्कि बदलाव की क्रांति होगी।”

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अखिलेश यादव

उपचुनाव की हार से सबक और संगठनात्मक बदलाव

हालांकि, लोकसभा में मिली सफलता के बावजूद, 2024 के उपचुनाव में SP/सपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा, जहां नौ में से सात सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा। खासकर, कुंदरकी जैसी मुस्लिम बहुल सीट पर एक लाख 40 हजार वोटों के अंतर से हार ने पार्टी को झकझोर दिया। इस हार के बाद अखिलेश यादव ने संगठन में बड़े बदलाव का संकेत दिया है।

सूत्रों के अनुसार, सात से आठ जिलों में पार्टी संगठन में फेरबदल की योजना है। निष्क्रिय पदाधिकारियों को हटाकर सक्रिय कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी जाएगी। टिकट वितरण में भी केवल उन्हीं नेताओं को प्राथमिकता दी जाएगी जो पीडीए समीकरण को मजबूत कर सकें और बूथ स्तर पर सक्रिय हों। यह कदम संगठन को मजबूत और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में उठाया गया है।

 

छोटे-मझोले नेताओं को जोड़ने की रणनीति

मिशन 2027 के लिए अखिलेश यादव ने छोटे-मझोले नेताओं को सपा में शामिल करने की रणनीति भी अपनाई है। हाल ही में महेंद्र राजभर जैसे नेताओं की एंट्री ने बीजेपी-सुभासपा गठबंधन को चुनौती देने का स्पष्ट संकेत दिया है। SP/ सपा का लक्ष्य केवल दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वोटरों को एकजुट करना नहीं है, बल्कि क्षेत्रीय प्रभाव वाले नेताओं को भी अपने पाले में लाना है, जो स्थानीय स्तर पर पार्टी को मजबूत कर सकें।

SP/सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने दावा किया है कि बीजेपी सरकार से जनता त्रस्त है और 2027 में SP/सपा की सरकार बनेगी। उन्होंने कहा, “महंगाई, बेरोजगारी, और भ्रष्टाचार से जनता परेशान है। ट्रांसफर-पोस्टिंग में वसूली और कानून-व्यवस्था की बदहाली ने जनता का विश्वास बीजेपी से उठा दिया है।”

कुल मिलाकर, SP/सपा 2027 विधानसभा चुनाव के लिए एक आक्रामक और सुनियोजित रणनीति के साथ आगे बढ़ रही है, जिसमें कमजोर सीटों पर ध्यान केंद्रित करना, संगठनात्मक सुधार, पीडीए फॉर्मूले को मजबूत करना और स्थानीय नेताओं को जोड़ना शामिल है।

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