आधुनिक रेल कोच कारखाने में कई बड़ी कंपनियां प्राइवेट के
तौर पर काम कर रही हैं। कंपनियों के द्वारा स्थानीय श्रमिकों का शोषण आम बात है। प्राइवेट कंपनियां
करीब करीब पेटी ठेकेदार और डेली वेजेस श्रमिकों से रेल कोच में डिब्बे बनाने का काम करती हैं। समय
से श्रमिकों का भुगतान न होने से गुरुवार को सैकड़ों श्रमिकों ने विरोध कर लिया। रेल कोच फैक्ट्री के
गेट नंबर तीन पर धरना प्रदर्शन कर दिया।
प्रदर्शन कर रहे श्रमिकों सौरभ सिंह, मोहित, रामकुमार, सुरेश, सत्यम,अनुभव, आशीष, राजेश, पंकज
साहू, मनीष तिवारी, महानंद आदि ने बताया कि उनके समेत करीब 400 श्रमिक हिंदुस्तान फाइबर
बड़ोदरा की कंपनी में काम करते हैं। पिछले पांच माह से पैसा बकाया है। वेतन देने में भी घपलेबाजी की
जाती है। इसके अलावा किंग जैसी कंपनियों में भी बराबर श्रमिकों का शोषण किया जा रहा है। पैसा खाते
में भेज कर उनके गुर्गे श्रमिकों से वसूली कर लेते हैं अन्यथा काम से निकाल देते हैं।
हालांकि हिंदुस्तान फाइबर कंपनी के मैनेजर मुकेश शर्मा ने सितंबर और अक्टूबर का मानदेय शनिवार को
देने की बात कही है। इसके अलावा 28 फरवरी तक दिसंबर तक का बैलेंस भी देने की बात मानी है।
इसके बावजूद श्रमिक काम पर नहीं लौटे हैं। उन्होंने कहा कि जब शनिवार को भुगतान हो जाएगा तभी
वह काम पर लौटेंगे। श्रमिकों के काम पर न लौटने से निश्चित रूप से रेल कोच का काम प्रभावित हुआ
है।
वहीं जब रेल कोच कारखाने के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जब
हिंदुस्तान कंपनी श्रमिकों को भुगतान कर देगी तभी रेल कोच भुगतान करती है। यह हमारे कांटेक्ट और
फैक्ट्री एक्ट दोनों में है।