G7 शिखर सम्मेलन में Prime Minister का संबोधन: ऊर्जा सुरक्षा, ग्लोबल साउथ और एआई पर दिया ज़ोर
18 जून 2025 | कनानास्किस, कनाडा — प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज कनाडा के कनानास्किस में आयोजित G7 शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्र में भाग लिया और वैश्विक मंच पर भारत की प्राथमिकताओं, दृष्टिकोण और प्रतिबद्धताओं को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया।
इस बार का सत्र “ऊर्जा सुरक्षा: बदलती दुनिया में पहुंच और सामर्थ्य सुनिश्चित करने के लिए विविधीकरण, प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचा” विषय पर आधारित था। प्रधानमंत्री मोदी ने कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी को आमंत्रण के लिए धन्यवाद दिया और G7 की 50वीं वर्षगांठ पर बधाई भी दी।
ऊर्जा सुरक्षा और भारत का दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि ऊर्जा सुरक्षा आज की नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक गंभीर चुनौती है। उन्होंने बताया कि भारत की ऊर्जा नीति चार प्रमुख सिद्धांतों – उपलब्धता, पहुंच, सामर्थ्य और स्वीकार्यता – पर आधारित है। भारत, जो कि आज दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, ने पेरिस समझौते के लक्ष्यों को समय से पहले ही पूरा कर लिया है।
उन्होंने हरित और टिकाऊ भविष्य की ओर भारत के प्रयासों को रेखांकित करते हुए कई वैश्विक पहल गिनाईं जैसे:
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA)
आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन (CDRI)
वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन
मिशन LiFE
वन सन-वन वर्ल्ड-वन ग्रिड
प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इन पहलों को मजबूत करने और अपनाने की अपील की।
ग्लोबल साउथ की आवाज़ बना भारत
प्रधानमंत्री मोदी ने ग्लोबल साउथ पर विशेष ध्यान देते हुए कहा कि विश्व के संघर्षग्रस्त और अस्थिर हिस्सों की सबसे बड़ी मार विकासशील देशों पर पड़ती है। उन्होंने कहा, “भारत ग्लोबल साउथ की आवाज़ को विश्व मंच पर पहुंचाना अपना कर्तव्य मानता है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि अंतरराष्ट्रीय समुदाय वाकई एक स्थायी और समावेशी भविष्य की दिशा में काम करना चाहता है, तो उसे ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं को गंभीरता से समझना और अपनाना होगा।
आतंकवाद पर सख्त रुख
प्रधानमंत्री ने आतंकवाद के मुद्दे पर भी बेबाकी से बात करते हुए कहा कि यह मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि यह सिर्फ भारत पर नहीं, बल्कि पूरी मानवता पर हमला था। उन्होंने सवाल उठाया:
क्या देश आतंकवाद को तब ही गंभीरता से लेंगे जब वे स्वयं निशाना बनेंगे?
क्या पीड़ितों और अपराधियों को एक ही तराजू में तौलना न्याय है?
क्या वैश्विक संस्थाएं आतंकवाद पर मूकदर्शक बनी रहेंगी?
उन्होंने दोहरे मापदंडों की आलोचना करते हुए आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों के खिलाफ सख्त वैश्विक कार्रवाई की मांग की।
प्रौद्योगिकी, एआई और ऊर्जा का समन्वय
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) दक्षता और नवाचार को बढ़ाने में तो सहायक है, लेकिन इसमें ऊर्जा की भारी खपत होती है। इसलिए, हमें ऐसी नीतियाँ और रणनीतियाँ बनानी होंगी जो एआई को स्वच्छ और टिकाऊ दिशा में ले जाएं।
उन्होंने बताया कि भारत का दृष्टिकोण मानव-केंद्रित है और किसी भी तकनीक का मूल्य तभी है जब वह आम लोगों के जीवन को बेहतर बनाए। साथ ही उन्होंने कहा कि जिम्मेदार एआई के लिए मजबूत वैश्विक गवर्नेंस ढांचा बनाना ज़रूरी है।
उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि भारत के पास प्रचुर, गुणवत्ता-युक्त और विविध डेटा है जो भविष्य के AI सिस्टम्स को नैतिक और सटीक बना सकता है।
आगे की राहें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का G7 मंच से दिया गया भाषण ऊर्जा, वैश्विक सुरक्षा, टेक्नोलॉजी और मानवता जैसे मुद्दों को जोड़ता है। यह न सिर्फ भारत की वैश्विक भूमिका को रेखांकित करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत आज सिर्फ एक भागीदार नहीं, बल्कि समाधानों का नेतृत्व करने वाला राष्ट्र बन चुका है।
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