कल्याण में सजी कवियों की महफिल


इस मौके पर अग्रवाल और सोनावणे कॉलेज के संस्थापक एवं जनरल सेक्रेटरी डॉ. विजय पंडित ने कहा कि वर्तमान में महाराष्ट्र में एक विकट संकट बहुत नजदीक आता दिख रहा है। एक तरफ मराठा और दूसरी तरफ ओबीसी आरक्षण की बात चल रही है। हम तो ईश्वर से प्रार्थना करेंगे कि जल्द ही कोई रास्ता निकले और हमारा समाज विभाजित न हो। उन्होंने चंद पंक्तियां सुनाते हुए कहा कि जो कहनी थी बात अक्सर वही बात भूल जाता हूँ,

किसी की झील जैसी आंखों में अक्सर डूब जाता हूँ, शिकायत है सबसे है पर किसी से कह नहीं सकता, बहुत गुस्सा आता है तो खुद से रुठ जाता हूँ… इन पंक्तियों को पेश करते ही कवियों की महफिल में चार चांद लग गया। और तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा हाल गूंज उठा। इस समय अन्य कवियों ने भी अपनी स्वरचित रचनाएं प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी। इस मौके पर अग्रवाल कॉलेज के उप प्राचार्य डॉ. राज बहादुर सिंह, सोनावणे कॉलेज के ट्रस्टी श्रीचंद केसवानी, सुनील कुकरेजा ने भी अपनी-अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।

कार्यक्रम के संयोजक रिटेल ग्रेन मर्चेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हृदय पंडित, सरयूपारीण ब्राह्मण मंच फाउंडेशन के ट्रस्टी अमित तिवारी, दर्शन तिवारी, विजय त्रिपाठी रहे। इस मौके पर वरिष्ठों के हाथों से भजन गीत मंदिर बना अभिराम की लांचिंग की गई।

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