आरटीआई से हुए चौंकाने वाले खुलासेवन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो ने दिया रंजन तोमर की आरटीआई का जवाब
Noida- Pangolin प्रजाति के प्राणी का लगातार होता शिकार पर्यावरण प्रेमियों में चिंता का विषय बना हुआ है , यह एक ऐसा प्राणी है जिसके बारे में लोग बेहद कम जानते हैं , इसे में समाजसेवी श्री रंजन तोमर द्वारा वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो में लगाई गई एक आरटीआई से कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।पहले सवाल में श्री तोमर ने पूछा था वार्षिक रूप से कितने पैंगोलिन स्केल देश में ज़ब्त किये गएजिसके जवाब में ब्यूरो कहता है की सन 2019 में 136 . 53 किलो पैंगोलिन स्केल राज्य पुलिस और फारेस्ट डिपार्टमेंट द्वारा ज़ब्त किये गए , 2020 में यह 36 . 815 किलो , 2021 में 184 . 212 किलो , 2022 में 53. 566 किलो , 2023 में 53 . 925 किलो और 2024 में 75 . 85 किलो Pangolin जब्त हुई।
महाराष्ट्र ,असम और मध्य प्रदेश में हो रहा सबसे ज़्यादा शिकारजानकारी के मुताबिक सन 2020 में महाराष्ट्र ,2021 एवं 2022 में असम में हुआ सबसे ज़्यादा शिकार , इसके बाद 2023 में सबसे ज़्यादा शिकार मध्य प्रदेश में हुआ।जीवित पैंगोलिन बरामद , कार्यवाही में शिकारी भी पकडेइस दौरान यह जानकारी भी मांगी गई थी की कितने जीवित Pangolin पकडे गए और कितने शिकारी इस दौरान गिरफतार हुए , इस बाबत मिली जानकारी कहती है की 2019 में 23 जीवित पैंगोलिन बचाये गए वहीँ 109 शिकार गिरफ्तार हुए , 2020 में 17 पैंगोलिन बचाये गए और 80 शिकारी पकडे गए , 2021 में यह आंकड़ा क्रमशः 30 और 132 रहा , 2022 में 8 पैंगोलिन बचाए गए और 57 शिकारी पकडे , 2023 में 7 जानवर बचाये गए और 66 शिकारी पकडे गए और 2024 में अबतक एक भी जीवित Pangolin नहीं पकड़ा गया और 20 शिकारी पकडे गए।
Pangolinप्रजाति के प्राणी का लगातार होता शिकार
सबसे बड़ी हैरानी की बात ये है कि इस जानवर से किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। ये जानवर बेहद शर्मिला होता है और इंसानों की नजरों में आने से पहले ही भाग लेता है। पैंगोलिन अपना आशियाना ज्यादातर जमीन के नीचे बिल बनाकर या फिर सूखे और खोखले हो चुके पेड़ों में बनाता है। लेकिन पैसों के लालच में तस्कर इसकी जान को नहीं बख्शते हैं।
Pangolin की जिह्वा चींटीख़ोरों की तरह होती है और इस से वह चींटी व दीमक खाने में सक्षम होता है, और यही उसका मुख्य आहार है। इसलिए पैंगोलिन को कभी-कभी शल्कदार चींटीख़ोर भी कहा जाता है।शरीर पर कड़ी और सुनहरी-भूरी स्केल्स वाले पैंगोलिन जीवों का मांस खूब शौक से खाया जाता है। इसके एक किलो की कीमत लगभग 27000 रुपए तक होती है, इसलिए चीन में ये एग्जॉटिक जानवरों की श्रेणी में मिलता है। यानी वेट मार्केट में दूसरे कम कीमत के सस्ते जीवों के साथ पैंगोलिन नहीं बिकता, बल्कि महंगे रेस्त्रां ही इसे बेचते या पकाते हैं।
तस्करी की वजह से पैंगोलिन पर अब विलुप्त होने का खतरा मंडराने लगा है। श्री तोमर ने कहा की वह केंद्र और राज्य सरकारों के मंत्रालयों तक भी इस बाबत लिखेंगे ताकि आवश्यक कदम उठाये जा सकें.
http://Noida में शुक्रवार को किसानों ने महापंचायत
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