नई दिल्ली, 5 जून 2025:
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सरकारी आवास 7, लोक कल्याण मार्ग, नई दिल्ली में ‘सिंदूर का पौधा’ रोपित किया। यह पौधा उन्हें हाल ही में गुजरात के कच्छ दौरे के दौरान वीरांगनाओं – 1971 के युद्ध में भाग लेने वाली साहसी महिलाओं – द्वारा भेंट किया गया था। यह अवसर केवल पर्यावरणीय जागरूकता का ही नहीं, बल्कि नारीशक्ति को सम्मान देने का भी प्रतीक बन गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर यह जानकारी साझा करते हुए देशवासियों से पर्यावरण की रक्षा के लिए एकजुट होकर काम करने की अपील की।
सिंदूर का पौधा: नारीशक्ति, पर्यावरण और संस्कृति का संगम
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में लिखा:
“1971 के युद्ध में साहस और पराक्रम की अद्भुत मिसाल पेश करने वाली कच्छ की वीरांगना माताओं-बहनों ने गुजरात दौरे के दौरान मुझे सिंदूर का पौधा दिया है। इसे विश्व पर्यावरण दिवस पर नई दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास में लगाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। यह पौधा देश की नारीशक्ति के शौर्य और प्रेरणा का प्रतीक बना रहेगा।”
सिंदूर का पौधा केवल एक वृक्षारोपण का कार्य नहीं, बल्कि यह नारी शक्ति के अदम्य साहस, समर्पण और राष्ट्रभक्ति का जीवंत प्रतीक बन गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इस छोटे-से पर्यावरणीय कदम को राष्ट्र के लिए प्रेरणा का स्रोत बताते हुए यह संदेश दिया कि हर पौधा एक परिवर्तन का बीज होता है।
पर्यावरण संरक्षण का वैश्विक संदेश
विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने प्रकृति से जुड़ाव और उसकी रक्षा के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा:
“इस विश्व पर्यावरण दिवस पर, आइए हम अपने ग्रह की रक्षा करने और हमारे सामने आने वाली चुनौतियों पर काबू पाने के लिए अपने प्रयासों को और गहरा करें। जो प्रकृति की रक्षा करते हैं, प्रकृति उनकी रक्षा करती है।”
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि पर्यावरण का संतुलन हमारी प्राचीन भारतीय परंपरा का अभिन्न हिस्सा रहा है, और संतुलित जीवनशैली को अपनाना आज के समय की महती आवश्यकता है।
विश्व पर्यावरण दिवस: उद्देश्य, इतिहास और वर्तमान
हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य:
जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता की हानि, प्रदूषण, वनों की कटाई जैसे गंभीर मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना,
पर्यावरण के संरक्षण के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक जागरूकता फैलाना,
और सरकारों, संस्थाओं और नागरिकों को सतत विकास की दिशा में कदम उठाने के लिए प्रेरित करना है।
इस वर्ष की थीम रही: “प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र की पुनर्बहाली” (Ecosystem Restoration), जो हमें उन प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने को प्रेरित करती है जिनसे प्राकृतिक संसाधनों का पुनरुद्धार और संरक्षण संभव हो सके।
एक पौधा, अनेक संदेश
प्रधानमंत्री मोदी के इस पौधारोपण ने यह स्पष्ट कर दिया है कि एक पौधा भी सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक बन सकता है। यह कार्य केवल पर्यावरणीय संरक्षण नहीं, बल्कि एक राष्ट्रनायक द्वारा वीर माताओं को दिया गया श्रद्धांजलि स्वरूप सम्मान भी है।
यह छोटा सा कदम हमें यह सोचने पर विवश करता है कि हम सभी अपनी दिनचर्या में पर्यावरण के लिए क्या योगदान दे रहे हैं। क्या हम भी एक पौधा लगाकर, प्लास्टिक का कम उपयोग करके, या पानी की बचत करके इस ग्रह को बेहतर बना सकते हैं?
पर्यावरणीय एकता का आदर्श उदाहरण
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सिंदूर का पौधा लगाना एक सांस्कृतिक, सामाजिक और पर्यावरणीय एकता का आदर्श उदाहरण है। यह कार्य हमें यह सिखाता है कि जब प्रकृति और परंपरा साथ आती हैं, तो एक नई दिशा और दृष्टिकोण जन्म लेता है।
आइए, हम सभी इस प्रेरणा से सीख लेते हुए हर दिन को पर्यावरण दिवस बनाएं।