नोएडा प्राधिकरण, जो शहर को व्यवस्थित करने और कानून का पालन कराने का दावा करता है, उसे यह जानकारी नहीं है कि 1976 से अब तक उसके कितने पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारियों (सीईओ) के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुईं या वित्तीय धोखाधड़ी के कितने मामले सामने आए। यह चौंकाने वाला खुलासा सामाजिक कार्यकर्ता और नोएडा वेलफेयर रेजिडेंट्स एसोसिएशन (नोवरा) के अध्यक्ष डॉ. रंजन तोमर द्वारा दायर एक आरटीआई के जवाब में सामने आया है।
डॉ. तोमर ने नोएडा प्राधिकरण से पूछा था कि 1976 से अब तक कितने पूर्व सीईओ के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा एफआईआर दर्ज की गईं और कितनों पर वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े मुकदमे चल रहे हैं। जवाब में प्राधिकरण ने कहा कि ऐसी कोई जानकारी उनके पास संकलित नहीं है। यह जवाब न केवल हैरान करने वाला है, बल्कि प्राधिकरण की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाता है।
पूर्व सीईओ पर केस कोई नई बात नहीं

नोएडा प्राधिकरण के कई पूर्व सीईओ के खिलाफ केस दर्ज होने की बात सार्वजनिक रूप से जानी जाती है। चाहे वह स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट में कथित अनियमितताएं हों, सुपरटेक केस में धांधली का मामला हो, या फिर हैसिंडा प्रोजेक्ट और लोटस-300 घोटाले जैसे मामले, कई पूर्व सीईओ जांच के दायरे में रहे हैं। उदाहरण के लिए, पूर्व सीईओ मोहिंदर सिंह और रमा रमण के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और अन्य एजेंसियों ने जांच शुरू की थी। इसके बावजूद, प्राधिकरण का यह कहना कि उनके पास ऐसी जानकारी नहीं है, कई सवाल खड़े करता है।
“जवाब छुपाना दाल में काला”
डॉ. रंजन तोमर ने कहा कि उन्होंने यह आरटीआई इसलिए दायर की थी ताकि नोएडा के नागरिकों को प्राधिकरण के कामकाज और पूर्व अधिकारियों की जवाबदेही के बारे में पता चल सके। उनका मानना है कि प्राधिकरण का जवाब छुपाना “दाल में काले” जैसा है। उन्होंने कहा, “हमने यह नहीं पूछा कि कितने सीईओ को सजा हुई, बल्कि सिर्फ यह जानना चाहा कि कितनों पर केस दर्ज हुए। प्राधिकरण का इस तरह जवाब देना संदेह पैदा करता है।”
पारदर्शिता पर सवाल
नोएडा प्राधिकरण का यह रवैया तब और गंभीर लगता है, जब हाल के वर्षों में कई बड़े घोटालों में पूर्व सीईओ के नाम सामने आए हैं। स्पोर्ट्स सिटी घोटाले में सीबीआई ने हाल ही में 10 पूर्व आईएएस अधिकारियों की जांच शुरू की, जिनमें से कई नोएडा प्राधिकरण के सीईओ रह चुके हैं। इसके अलावा, हैसिंडा प्रोजेक्ट में 300 करोड़ रुपये के घोटाले में पूर्व सीईओ संजीव सरन से भी ईडी पूछताछ कर रही है।
नागरिकों में नाराजगी
डॉ. तोमर का कहना है कि प्राधिकरण का यह रवैया न केवल नागरिकों के प्रति जवाबदेही की कमी को दर्शाता है, बल्कि अधिकारियों को जनता के प्रति सजग रहने के लिए प्रेरित करने में भी बाधा डालता है। उन्होंने मांग की है कि प्राधिकरण इस मामले में स्पष्ट और पारदर्शी जवाब दे।