प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्याधाम में खुशियों के दीप जग-
मग कर रहे हैं।
चारों दिशा अखंड रामधुन के जयघोष से गूंज रही हैं। भारतवर्ष के लिए 22 जनवरी का
तिथि बेहद मंगलकारी और भावुक कर देने वाली होगी। सोमवार को यहां नवनिर्मित श्रीराम मंदिर में
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी। इससे पहले पांच दिन तक वैदिक अनुष्ठान
किए गए। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने कहा कि आज (रविवार)114 कलशों के विभिन्न औषधीय
जल से मूर्ति को स्नान कराया जाएगा।
भगवान श्रीराम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए सात दिवसीय अनुष्ठान चल रहा है। इस क्रम में 20
जनवरी को पुष्पाधिवास, शर्कराधिवास और फलाधिवास किए गए। साथ ही दैनिक पूजा-अर्चना, हवन
आदि के साथ चीनी और फलों से भी अनुष्ठान हुआ। दिव्य और भव्य मंदिर प्रांगण में 81 कलश
स्थापित कर पूजा-अर्चना की गई। शाम को पूजा और आरती भी हुई। शुक्रवार को मैसूरु के प्रसिद्ध
मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई श्री रामलला की मूर्ति को मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कराया
गया।
उल्लेखनीय है कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में श्रीरामलला के समक्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 140 करोड़
भारतीयों की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करेंगे। अयोध्याधाम में लघु भारत के दर्शन होंगे। मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ का कहना है कि श्रीरामजन्मभूमि मंदिर की स्थापना भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का
आध्यात्मिक अनुष्ठान है। यह राष्ट्र मंदिर है। श्रीरामलला विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा राष्ट्रीय गौरव का
ऐतिहासिक अवसर है। रामकृपा से अब कभी कोई भी अयोध्या की पारंपरिक परिक्रमा को बाधित नहीं
कर सकेगा। अयोध्या की गलियों में गोलियां नहीं चलेंगी। सरयूजी रक्त रंजित नहीं होंगी। अयोध्या में
कर्फ्यू का कहर नहीं होगा। यहां सिर्फ उत्सव होगा। रामनाम संकीर्तन गुंजायमान होगा। अवधपुरी में
रामलला का विराजना भारत में रामराज्य की स्थापना की उद्घोषणा भी है।