Greater noida सुपरटेक के हजारों घर खरीदारों का दर्द

15 साल बाद भी अधूरी परियोजनाएं, EMI और किराए के बोझ तले दबे लोग

 

Greater noida सुपरटेक की विभिन्न आवासीय परियोजनाओं में निवेश करने वाले हजारों घर खरीदार पिछले 15 वर्षों से अपने सपनों के घर के लिए भटक रहे हैं। 2010 से शुरू हुई इन परियोजनाओं में से कई आज भी अधूरी पड़ी हैं, जिसके चलते खरीदार न केवल आर्थिक, बल्कि मानसिक और सामाजिक संकट का सामना कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश खरीदारों ने अपने घर की कीमत का 95% या लगभग पूरी राशि सुपरटेक को दे दी है, फिर भी वे न तो घर पा सके हैं और न ही उनकी रकम वापस मिली है।

ईएमआई और किराए का दोहरा बोझ

सुपरटेक के खरीदारों की सबसे बड़ी पीड़ा यह है कि वे एक तरफ अपने घर के लिए बैंक लोन की ईएमआई चुका रहे हैं, तो दूसरी तरफ किराए के मकान में रहने को मजबूर हैं। कई खरीदारों ने बताया कि उनकी जिंदगी की जमा-पूंजी इस उम्मीद में सुपरटेक को दे दी गई थी कि उन्हें जल्द ही अपना आशियाना मिलेगा, लेकिन सालों बाद भी वे असहाय और बेघर हैं। जिन खरीदारों को फ्लैट मिले भी हैं, वे आधे-अधूरे बने सोसाइटी में अव्यवस्था, कुप्रबंधन और मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट में गुहार, मौलिक अधिकारों की रक्षा की मांग

हजारों घर खरीदारों ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी आवाज बुलंद की है। उनकी मांग है कि उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा की जाए और सुपरटेक की कथित धोखाधड़ी की जांच हो। खरीदारों का कहना है कि उनकी यह लड़ाई न केवल उनके लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी है, ताकि भविष्य में कोई और इस तरह की ठगी का शिकार न हो। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक और बैंकों के बीच कथित गठजोड़ की जांच के लिए सीबीआई को आदेश दिया है, जिससे खरीदारों में थोड़ी उम्मीद जगी है।

खरीदारों की अपील: साथ दें, अन्याय के खिलाफ लड़ें

सुपरटेक के पीड़ित खरीदारों ने समाज के सभी वर्गों से अपील की है कि वे उनके हक की इस लड़ाई में साथ दें। उनका कहना है, “15 साल का लंबा इंतजार, आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव हमें तोड़ चुका है। हम चाहते हैं कि लोग अपनी ताकत और अधिकारों का इस्तेमाल कर हमारी मदद करें। यह केवल हमारी नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति की लड़ाई है जो अपने घर के सपने को सच करने की कोशिश में है।”

सुपरटेक और बैंकों पर गंभीर आरोप

खरीदारों का आरोप है कि सुपरटेक ने सबवेंशन स्कीम के तहत बैंकों के साथ मिलकर उन्हें धोखा दिया। इस स्कीम में बिल्डर को फ्लैट का कब्जा देने तक ईएमआई चुकानी थी, लेकिन सुपरटेक ने ऐसा नहीं किया, जिसके चलते बैंकों ने खरीदारों पर ईएमआई का दबाव बनाना शुरू कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए सीबीआई को नोएडा, गुरुग्राम, मुंबई सहित कई शहरों में सुपरटेक की परियोजनाओं की जांच का निर्देश दिया है।

खरीदारों का दर्द: “क्या इस जन्म में घर मिलेगा?”

नोएडा के एक खरीदार ने बताया, “मैंने 2011 में सुपरटेक के प्रोजेक्ट में फ्लैट बुक किया था। आज 2025 है, और मुझे न फ्लैट मिला, न मेरे पैसे वापस हुए। मैं हर महीने 40 हजार की ईएमआई और 20 हजार का किराया दे रहा हूं।” एक अन्य खरीदार, 70 वर्षीय निशा गुप्ता ने कहा, “मेरी उम्र हो चुकी है। लगता है इस जन्म में अपने घर में नहीं रह पाऊंगी।”

सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश से खरीदारों को कुछ राहत की उम्मीद है, लेकिन उनकी मांग है कि सुपरटेक पर कड़ी कार्रवाई हो, उनकी रकम वापस मिले या फ्लैट का कब्जा दिया जाए। साथ ही, वे चाहते हैं कि भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी रोकने के लिए सख्त कानून बनाए जाएं।

खरीदारों की यह लड़ाई अब केवल उनके घर के लिए नहीं, बल्कि न्याय और जवाबदेही की मांग बन चुकी है।

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