राजस्थान के देई कस्बे में स्थित राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मे पांच
माह के बच्चे की मौत को लेकर सोमवार को दूसरे दिन भी विरोध प्रदर्शन जारी रहा। युवाओं ने
अस्पताल के मेन गेट पर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर आक्रोश जताया। इसके साथ ही अस्पताल में
धरना देकर बैठ गए। युवाओं का कहना है कि जब तक उच्च अधिकारी मौके पर नहीं आते और दोषियों
के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती, तब तक धरना जारी रहेगा।
गौरतलब है कि जेनरेटर न चलने के कारण ऑक्सीजन नहीं लगाया जा सका, जिसके चलते रविवार रात
को पांच साल की एक मासूम की मौत हो गई। परिजनों ने उच्च अधिकारियों से इसकी शिकायत की है।
मृतक के पिता ने बताया कि रविवार शाम 5 बजे अपने बेटे को लेकर देई सीएचसी अस्पताल पहुंचा,
जहां पर महिला चिकित्सक को दिखाया।
लेकिन, अस्पताल में जेनरेटर न चलने के कारण ऑक्सीजन नहीं लगाया जा सका, जिससे उसकी मौत
हो गई। करीब दो घंटे तक अस्पताल की बिजली गुल रही। मासूम की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल
प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। बच्चे को सही समय पर इलाज के लिए ऑक्सीजन नहीं
मिली, इस कारण उसने दम तोड़ दिया।
इस बारे में चिकित्सा अधिकारी योगेश पवार ने बताया जेनरेटर में डीजल नहीं था, डीजल डलवा दिया।
जब अस्पताल प्रशासन से लापरवाही के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने पल्ला झाड़ लिया।
युवा हेमंत बैरवा सहित अन्य लोगों ने बताया कि अस्पताल प्रशासन द्वारा चिकित्सा सुविधा के नाम पर
सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। रात के समय इमरजेंसी मे अस्पताल में डॉक्टर नहीं मिलते, प्रसूताओं से
नर्सों द्वारा डिलीवरी करवाने के नाम पर पैसों की मांग की जाती है। नहीं देने पर जिला अस्पताल रेफर
कर दिया जाता है।
अस्पताल में पर्याप्त ऑक्सीजन सुविधा मौजूद है, लेकिन इमरजेंसी में बिजली सुविधा
के लिए काम आने वाले जेनरेटर मे डीजल नहीं होता है। इसका खामियाजा आज एक मजदूर को भुगतना
पड़ा है।
मृतक की मां के साथ आई मकान मालिक की पत्नी छोटी बाई ने बताया कि शाम 5 बजे बच्चे की
तबियत खराब होने पर सामुदायिक अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां पर महिला चिकित्सक को दिखाया। बच्चे
को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।
लेकिन, अस्पताल मे बिजली बंद होने से अंधेरा हो रहा था। जब
इमरजेंसी जनरेटर चलाने के लिए बोला तो स्टाफ ने बताया कि जेनरेटर में तेल नहीं है। बच्चे को
ऑक्सीजन की जरूरत थी और उसकी तबीयत लगातार बिगड़ रही थी।