महाराष्ट्र में 10 दिवसीय गणेश उत्सव धूमधाम के साथ मंगलवार को
शुरू हो गया।
गणेश चतुर्थी के साथ शुरू हुए इस उत्सव के तहत पूरे राज्य में धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ
समृद्धि और बुद्धि के देवता भगवान श्री गणेश की मूर्तियां घरों और पंडालों में स्थापित की गई हैं।
राज्य में इस सार्वजनिक उत्सव की शुरुआत 1890 के दशक में तब हुई थी जब राष्ट्रवादी नेता बाल
गंगाधर तिलक और अन्य लोगों ने आम जनता को संगठित करने के लिए इसका इस्तेमाल करने का
फैसला किया।
राजधानी मुंबई और राज्य के अन्य प्रमुख शहरों में गणेश मंडल भगवान श्री गणेश की विशाल मूर्तियों
को ढोल-ताशा की थाप के साथ शोभायात्रा निकालकर अपने पूजा पंडालों में ले गए।
राज्य में ज्यादातर लोग अपने-अपने घरों में भगवान श्री गणेश की मूर्तियां सोमवार की रात या मंगलवार
की सुबह ‘गणपति बप्पा मोरया’ के जयकारों के साथ लेकर आए।
इस अवसर पर फूल, पूजा सामग्री, मिठाई और सजावटी सामान खरीदने के लिए लोगों की सब्जी और
फूल बाजारों, मिठाई की दुकानों और सड़क किनारे लगी दुकानों पर भीड़ उमड़ी पड़ी।
मुंबई में लोगों ने अपने घरों और पंडालों में चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण से लेकर अयोध्या के राम मंदिर समेत
कई विषयों पर आधारित सजावट की, जिनमें भगवान श्री गणेश की विभिन्न आकृतियों और आकारों की
मूर्तियां स्थापित की गईं।
बच्चों के साथ-साथ वरिष्ठ नागरिकों सहित परिवार के अन्य सदस्य ‘गणपति बप्पा मोरया’ के जयकारों
और ढोल की थाप के बीच अपने प्यारे ‘बप्पा’ को घर लाने के लिए सुबह-सुबह अपने घरों से बाहर
निकले।
कई लोगों को ऑटोरिक्शा, कार और परिवहन के अन्य साधनों में मूर्तियों को ले जाते देखा गया।
इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई में अपने-
अपने आधिकारिक आवासों पर भगवान श्री गणेश की मूर्ति स्थापित की।