बड़ी संख्या में किसान बृहस्पतिवार को ‘किसान मजदूर महापंचायत’ के
लिए राष्ट्रीय राजधानी के रामलीला मैदान में इकट्ठा हुए और उन्होंने केन्द्र की नीतियों के खिलाफ
नारेबाजी की।
तीन केंद्रीय कृषि कानूनों (अब रद्द किए जा चुके) के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर 2020-21 में हुए
किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा है कि सरकार की
नीतियों के खिलाफ ‘लड़ाई तेज करने’ के लिए ‘किसान मजदूर महापंचायत’ में एक प्रस्ताव पारित किया
जाएगा।
किसानों ने धरना स्थल पर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। पंजाब के पटियाला के किसान हरमन
सिंह ने बताया कि वह बुधवार रात राजधानी पहुंचे थे।
किसान हरमन सिंह ने कहा, ”हम चाहते हैं कि केन्द्र की नीतियां किसानों के पक्ष वाली हों। हम चाहते हैं
कि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर हमारी मांग भी पूरी हो।’‘
पंजाब के बठिंडा के किसान रविंदर सिंह ने कहा कि अक्टूबर 2021 में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में
हुई हिंसा के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, ”हम चाहते हैं कि लखीमपुर
खीरी में किसानों पर वाहन चढ़ाने वाले के खिलाफ कार्रवाई हो। पीड़ित परिवारों को मुआवजा और
सरकारी नौकरी मिलनी चाहिए।”
पुलिस ने यात्रा परामर्श जारी कर लोगों को मध्य दिल्ली की ओर जाने वाली सड़कों से बचने का सुझाव
दिया है। अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली की सीमाओं पर तैनात अर्द्धसैनिक बलों के जवानों की संख्या
भी बढ़ा दी गई है।
किसानों को अपने ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ राजधानी में प्रवेश नहीं करने को कहा गया
है। दिल्ली पुलिस ने किसानों को इस शर्त पर महापंचायत की अनुमति दी है कि इसमें 5000 से अधिक
लोग इकट्ठा नहीं होंगे, कोई ट्रैक्टर-ट्रॉली नहीं लाई जाएगी और रामलीला मैदान तक कोई मार्च नहीं
निकाला जाएगा।