डीटीसी चल रही है लगातार घाटे में

राजधानी दिल्ली की लाइफ लाइन मानी जाने वाली डीटीसी लगातार
घाटे में चल रही है वहीं दिल्ली की सरकार इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही। यह कहना है राम
नगर ब्लाक कांग्रेस के अध्यक्ष परमानन्द शर्मा का। परमानन्द शर्मा कहते हैं डीटीसी बेड़े में सिर्फ 3900
बसें ही बचीं हैं और डीटीसी 5000 करोड़ घाटे में चल रही है।

पीक आवर में घंटों का जाम दिनचर्या का
हिस्सा बन चुका है। परमानन्द शर्मा ने कहा कि कार और दुपहिया पर यात्रा करने वाले लोगों को
पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर लेकर जाने को सेफ ट्रांसपोर्ट मुहैया कराने की बात करने वाले केजरीवाल दिल्ली
वालों को ऐप बेस वाई-फाई, एसी बसों में सीटों की बुकिंग सुनिश्चितता कहकर प्रीमियम बस सर्विस
योजना लागू करना चाहते है।

प्रीमियम सर्विस के अंतर्गत तीन साल से अधिक पुरानी किसी भी बस का
उपयोग नहीं किया जाएगा और 2024 के बाद बसों को इलेक्ट्रिक बसों में बदल दिया जाएगा, जिसमें
एग्रीगेटर्स किराए का निर्धारण खुद करेंगे। उन्होंने कहा कि 9 साल की दिल्ली में परिवहन व्यवस्था कि
विफलताओं को छिपाने के लिए केजरीवाल अमीर लोगों को दुपहिया और कार से हटाकर प्रीमियम बस
सर्विस मुहैया कराने का शगुफा दिखा रहे है।

केजरीवाल की पहली प्राथमिकता डीटीसी बेड़े को मजबूत
करना होना चाहिए, जो आम लोगों की यात्राका एकमात्र सुविधाजनक साधन है। परमानन्द शर्मा ने कहा
कि लगातार घोषणा करने के बावजूद दिल्ली सरकार ने दिल्ली में डीटीसी बसों की संख्या में बढ़ोतरी नही
कर पाई।

जिसके कारण सड़कां पर निजी वाहनो, कार व दुपहिया वाहनों की तादात कई गुणा बढ़ गई जो
दिल्ली के प्रदूषण में अहम भूमिका निभा रहे हैं। केजरीवाल सरकार राजधानी में विश्व स्तरीय परिवहन
प्रणाली देना चाहती है परंतु इसके लिए उनके पास केवल घोषणा है, योजना नही।

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