बिहार: Liquor शराब के नशे में रेलवे ट्रैक पर ऑटो दौड़ाया, ट्रेन चालक की सूझबूझ से टला बड़ा हादसा
सीतामढ़ी, बिहार:
बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद नशे की लत में डूबे लोगों की हरकतें लगातार सामने आ रही हैं, जो अक्सर बड़े हादसों का कारण बन सकती हैं।
ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला शनिवार को सीतामढ़ी-दरभंगा रेल खंड पर मेहसौल गुमटी के समीप देखने को मिला, जहाँ एक ऑटो चालक Liquor शराब के नशे में धुत होकर अपने ऑटो को रेलवे ट्रैक पर दौड़ाने लगा। गनीमत रही कि ट्रेन चालक की सूझबूझ और स्थानीय लोगों की मुस्तैदी से एक बड़ा हादसा टल गया।

क्या थी पूरी घटना?
जानकारी के मुताबिक, शनिवार को मेहसौल रेलवे क्रॉसिंग के पास एक ऑटो चालक नशे में झूम रहा था। अचानक, वह अपने ऑटो को लेकर रेलवे ट्रैक पर चढ़ गया और काफी दूर तक ट्रैक के समानांतर उसे दौड़ाने लगा। यह उस वक्त की घटना है जब बगल वाली पटरी से अप लाइन पर एक ट्रेन भी गुजर रही थी, जिससे मौके पर हड़कंप मच गया। ऑटो को ट्रैक पर देखकर आसपास मौजूद लोगों में अफरा-तफरी मच गई और वे शोर मचाते हुए चालक की ओर दौड़े।
स्थानीय लोगों ने बिना देर किए ऑटो चालक को ट्रैक से हटाने की कोशिशें शुरू कर दीं। कड़ी मशक्कत के बाद, लोगों ने किसी तरह ड्राइवर को रोका और ऑटो को खींचकर ट्रैक से बाहर किया। इसी दौरान, बगल की पटरी से गुजर रही ट्रेन निकल गई और एक बड़ा हादसा होने से बच गया।
सबसे बड़ी राहत की बात यह रही कि जिस ट्रैक पर ऑटो खड़ा था, उस पर उसी वक्त कोई ट्रेन नहीं आई, अन्यथा परिणाम भयावह हो सकते थे। नशे में धुत होकर रेलवे ट्रैक पर ऑटो चलाने का यह पूरा घटनाक्रम सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने एक बार फिर बिहार में शराबबंदी की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बिहार में Liquor शराबबंदी: उद्देश्य और चुनौतियां
बिहार सरकार ने 1 अप्रैल 2016 को राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू की थी। यह ऐतिहासिक फैसला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विशेष रूप से महिलाओं की लंबे समय से चली आ रही मांग पर लिया था, जिनका मानना था कि Liquor शराब के कारण परिवारों में कलह, आर्थिक तंगी और सामाजिक बुराइयां बढ़ रही हैं। सरकार का उद्देश्य था कि शराबबंदी से समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा, घरेलू हिंसा में कमी आएगी और लोगों का स्वास्थ्य बेहतर होगा।
हालांकि, इन noble उद्देश्यों के बावजूद, राज्य में Liquor शराब और अन्य नशीले पदार्थों का अवैध व्यापार और सेवन लगातार जारी है। शराबबंदी लागू होने के बाद से अवैध Liquor शराब की तस्करी और बिक्री एक बड़ा मुद्दा बन गई है।
पड़ोसी राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल से Liquor शराब की अवैध तस्करी बड़े पैमाने पर हो रही है, और यह राज्य की कानून व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। आए दिन पुलिस विभिन्न जिलों से भारी मात्रा में अवैध Liquor शराब बरामद करती है।
उदाहरण के लिए, हाल ही में बगहा में 776.8 लीटर अंग्रेजी Liquor शराब बरामद की गई, और इस तरह की घटनाएं नियमित रूप से सामने आती रहती हैं, जो दर्शाती हैं कि तस्कर किस हद तक सक्रिय हैं।

नशे में धुत होकर अपराध: एक बढ़ती चिंता
शराबबंदी के बावजूद, नशे में धुत होकर अपराध करने या लापरवाही बरतने के मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। रेलवे ट्रैक पर ऑटो दौड़ाने की यह घटना इसी का एक जीता-जागता उदाहरण है। यह साफ तौर पर दिखाता है कि प्रतिबंधों के बावजूद लोग Liquor शराब पीने से बाज नहीं आ रहे हैं, और नशे की हालत में ऐसे खतरनाक कदम उठा रहे हैं, जिससे न केवल उनकी अपनी जान को खतरा है, बल्कि दूसरों की जान भी खतरे में पड़ रही है।
सरकार Liquor शराब और अन्य नशीले पदार्थों को रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन कहीं न कहीं यह मुहिम स्थानीय लोगों और खासकर उन लोगों तक पहुँच नहीं पा रही है जो अभी भी चोरी-छिपे Liquor शराब का सेवन कर रहे हैं।
इस तरह की घटनाएँ समाज में नशे के गहरे जड़ें जमा लेने की समस्या को उजागर करती हैं। रेल चालक की सूझबूझ से भले ही यह बड़ा हादसा टल गया हो, लेकिन यह घटना एक चेतावनी है कि नशे पर लगाम लगाने के लिए और अधिक प्रभावी उपायों की आवश्यकता है, जिसमें जागरूकता, सशक्त प्रवर्तन और सामुदायिक भागीदारी शामिल है।
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