Delhi के नेशनल जूलॉजिकल पार्क (चिड़ियाघर) में गैंडे औरहिमालयन भालू की रहस्यमय मौतों की वजह अब साफ हो गई है। 20 दिसंबर 2024 से 1 जनवरी
2025 के बीच हुई इन मौतों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि जानवर गंभीर बीमारियों सेपीड़ित थे, लेकिन समय पर उनकी देखभाल नहीं की गई। गैंडे की मौत का कारण ‘एक्यूट हेमोरेजिकएंटेराइटिस’ यानी खूनी पेचिश बताया गया, जबकि हिमालयन भालू पेट में संक्रमण की वजह से मरा।समय पर चिकित्सा का अभावरिपोर्ट के मुताबिक, दोनों जानवरों की स्थिति गंभीर होने के बावजूद समय पर इलाज नहीं मिला।हैरानी की बात यह है कि सरकारी रिकॉर्ड में उन्हें मौत से पहले स्वस्थ बताया गया।
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विशेषज्ञों काकहना है कि इन बीमारियों के लक्षण 24 घंटे पहले से दिखने लगते हैं। बावजूद इसके, जानवरों कीगतिविधियों पर ध्यान नहीं दिया गया।लापरवाही के संकेत और जांच के लिए भेजे गए सैंपलचिड़ियाघर में जानवरों की देखभाल के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं, फिर भी लापरवाही बरती गई।चिड़ियाघर में 250 से अधिक सीसीटीवी कैमरे और दो वेटरनरी डॉक्टर तैनात हैं। बावजूद इसके, गैंडेऔर भालू की खराब हालत का पता नहीं चल पाया। साथ ही चिड़ियाघर के निदेशक डॉ. संजीत कुमारने बताया कि जानवरों की मौत के सही कारण जानने के लिए सैंपल बरेली स्थित इंडियन वेटरनरीरिसर्च इंस्टीट्यूट (आईवीआरआई) भेजे गए हैं। उन्होंने कहा कि मामले की जांच जारी है और दोषियोंपर कार्रवाई की जाएगी।
स्टाफ की अनुभवहीनता पर सवालजानवरों की देखभाल के लिए पर्याप्त और अनुभवी स्टाफ की कमी को इस घटना की बड़ी वजहमाना जा रहा है। चिड़ियाघर में मल्टी-टास्किंग स्टाफ (एमटीएस) को जानवरों की देखभाल में लगायागया, जबकि वे मुख्य रूप से कार्यालय के काम के लिए होते हैं। वहीं, वन्यजीव विशेषज्ञों का कहनाहै कि अगर जानवरों की गतिविधियों पर सही समय पर ध्यान दिया जाता और इलाज किया जाता,तो उनकी जान बचाई जा सकती थी। अनुभवहीन स्टाफ की नियुक्ति और लापरवाही के चलते यहहादसा हुआ।
चिड़ियाघर प्रशासन पर सवाल
गैंडे और हिमालयन भालू की मौतों ने चिड़ियाघर प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किएहैं। वन्यजीव संरक्षण से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदमउठाने की जरूरत है। साथ ही, यह घटना चिड़ियाघर में जानवरों की सुरक्षा और देखभाल की प्रणालीमें सुधार की जरूरत को उजागर करती है। प्रशासन को निगरानी बढ़ाने, अनुभवी स्टाफ की नियुक्ति,और समय पर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
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