भारत निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य में मतदान
प्रतिशत बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में हाउसिंग सोसाइटी के भीतर 200 से अधिक मतदान
केंद्र स्थापित किए हैं। राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिनवा ने एक न्यूज एजेंसी के साथ
एक साक्षात्कार में कहा कि चुनाव निकाय उन शहरी क्षेत्रों पर ध्यान दे रहा है, जहां अतीत में कम
मतदान हुआ है।
उन्होंने कहा कि जहां तक मतदान प्रतिशत का सवाल है, उत्तर प्रदेश पहला स्थान हासिल करेगा। रिनवा
ने बताया, “हमने यह सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं कि मतदाताओं को वोट
डालने से रोकने वाली सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाएं। हमने इस बात का ख्याल रखा है कि मतदान
केंद्र मतदाता के दो किलोमीटर की परिधि में हों।”
उन्होंने कहा, “नगरीय इलाकों में बहुमंजिला सोसाइटी में जहां मतदान का प्रतिशत पहले के चुनावों में
कम रहा है, वहां भी हमने नई पहल की है और मतदान केंद्र बनाए हैं। मतदान दिवस से पांच दिन पूर्व
मतदाताओं को ‘वोटर गाइड’ के साथ पर्चियां मिल जाएं, यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किए जा रहे
हैं।” ‘वोटर गाइड’ चुनाव से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी देता है।”
रिनवा ने बताया कि पूरे राज्य में करीब 200 से अधिक मतदान केंद्र हाउसिंग सोसाइटी में बनाए गए हैं
जिसमें नोएडा अग्रणी है। उन्होंने कहा कि गाजियाबाद, लखनऊ, कानपुर, बरेली और यहां तक कि मथुरा
में भी ऐसे मतदान केंद्र होंगे। यह पूछे जाने पर क्या प्रदेश में मतदान प्रतिशत 60 प्रतिशत को पार
करेगा तो उन्होंने विश्वास जताया कि प्रदेश के मतदाता ‘फर्स्ट डिविज़न’ हासिल करेंगे।
निर्वाचन आयोग के मुताबिक, 2019 के लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में मतदान प्रतिशत 59.11
प्रतिशत था। उन्होंने कहा कि स्वीप (व्यवस्थित मतदाता शिक्षा एवं चुनाव भागीदारी) गतिविधियां इस
प्रदेश में अब भी चल रही हैं।
अधिकारी ने कहा कि इस बार प्रदेश में 15.30 करोड़ से अधिक लोग
मतदान करने के पात्र हैं और सोनभद्र के दो विधानसभा क्षेत्रों को छोड़कर सभी जगह मतदान सुबह सात
बजे से शाम छह बजे तक चलेगा।
बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की सीमा से लगे सोनभद्र में वाम अतिवादी तत्वों की वजह
से पूर्व में मतदान प्रभावित हुआ था।
उन्होंने कहा, “सोनभद्र में रॉबर्ट्सगंज (आरक्षित) लोकसभा सीट पर
सातवें चरण में एक जून को मतदान होगा। यहां सुबह सात बजे से शाम चार बजे तक मतदान का
समय रखने का भारतीय निर्वाचन आयोग को प्रस्ताव दिया गया है।”