भारत की जनगणना Census 2027 कुल आबादी, धर्म और जातिगत आंकड़े जल्द होंगे उपलब्ध
नई दिल्ली: भारत सरकार ने 2027 में होने वाली 16वीं जनगणना Census के लिए औपचारिक अधिसूचना जारी कर दी है। गृह मंत्रालय ने 16 जून 2025 को इसकी अधिसूचना जारी की, जिसके साथ ही जनगणना Census और जातिगत जनगणना की तैयारियां शुरू हो गई हैं।
यह जनगणना कई मायनों में खास होगी, क्योंकि यह भारत की पहली पूरी तरह डिजिटल जनगणना Census होगी और इसमें नागरिकों के लिए सेल्फ एनुमरेशन का नया विकल्प उपलब्ध होगा।

जनगणना Census की प्रक्रिया और समयसीमा
जनगणना Censusदो चरणों में आयोजित की जाएगी। पहला चरण 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगा, जिसमें जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे बर्फीले क्षेत्र शामिल होंगे। दूसरा चरण फरवरी 2027 से शुरू होकर 1 मार्च 2027 को समाप्त होगा, जिसमें देश के बाकी हिस्सों में जनगणना Census और जातिगत जनगणना होगी।
इस दौरान 34 लाख गणनाकर्ता और पर्यवेक्षक 1.3 लाख से अधिक डिजिटल उपकरणों के साथ डेटा एकत्र करेंगे। प्रक्रिया पूरी होने के बाद दिसंबर 2027 तक अंतिम आंकड़े सार्वजनिक किए जाएंगे।
कुल आबादी और धार्मिक संरचना
2011 की जनगणना Census के अनुसार, भारत की कुल जनसंख्या 121.09 करोड़ थी, जिसमें हिंदुओं की हिस्सेदारी 79.8% (96.63 करोड़), मुसलमानों की 14.2% (17.22 करोड़), ईसाइयों की 2.3% (2.78 करोड़), सिखों की 1.7%, बौद्धों की 0.7%, जैनियों की 0.4% (0.45 करोड़), अन्य धर्मों की 0.7% और ‘धर्म नहीं बताया’ वालों की 0.2% थी। 2027 की जनगणना में अद्यतन आंकड़े सामने आएंगे, जो जनसंख्या वृद्धि और धार्मिक संरचना में बदलाव को दर्शाएंगे। अनुमान है कि 2050 तक भारत में मुसलमानों की आबादी 31 करोड़ तक पहुंच सकती है, जो कुल जनसंख्या का 18% होगी।

जातिगत जनगणना Census: पहली बार शामिल
1931 के बाद पहली बार जातिगत जनगणना को राष्ट्रीय जनगणना में शामिल किया गया है। यह 94 साल बाद हो रही जातिगत गणना सामाजिक-आर्थिक नीतियों और आरक्षण की समीक्षा के लिए महत्वपूर्ण होगी।
हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि जातियों की गिनती तो होगी, लेकिन इन्हें वर्गों (जैसे OBC) में बांटकर आंकड़े संकलित नहीं किए जाएंगे, जिससे OBC की कुल संख्या का पता नहीं चलेगा। 2011 की सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना में 46 लाख से अधिक जातियां और उपजातियां चिह्नित की गई थीं, लेकिन वह डेटा पूरी तरह सार्वजनिक नहीं हुआ।
सेल्फ एनुमरेशन पोर्टल: एक नई पहल
जनगणना अधिनियम, 1948 में 2022 के संशोधन के बाद नागरिकों को सेल्फ एनुमरेशन की सुविधा दी गई है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (ORGI) द्वारा विकसित सेल्फ एनुमरेशन पोर्टल के जरिए लोग ऑनलाइन अपनी और परिवार की जानकारी दर्ज और अपडेट कर सकेंगे।
इस पोर्टल को उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाया गया है, जिसमें ड्रॉपडाउन मेन्यू और प्री-कोडेड जवाब होंगे। हालांकि, अंतिम डेटा संकलन से पहले पोर्टल बंद कर दिया जाएगा।
डिजिटल जनगणना और डेटा सुरक्षा
2027 की जनगणना में मोबाइल ऐप्स और इंटेलिजेंट कैरेक्टर रिकग्निशन (ICR) तकनीक का उपयोग होगा, जिससे पेपरलेस प्रक्रिया तेज और सटीक होगी। डेटा सुरक्षा के लिए सख्त इंतजाम किए गए हैं। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने डिजिटल साक्षरता सुनिश्चित करने के लिए गणनाकर्ताओं को व्यापक प्रशिक्षण और क्षेत्र-विशिष्ट भाषा इंटरफेस प्रदान किए हैं।
महत्व और चुनौतियां
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जनगणना की तैयारियों की समीक्षा कर इसकी अहमियत पर जोर दिया। यह जनगणना सामाजिक-आर्थिक डेटा, जनसंख्या की आयु, लिंग, शिक्षा, व्यवसाय और निवास जैसी जानकारियां एकत्र करेगी,
जो नीति निर्माण और कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार बनेंगी। हालांकि, डिजिटल साक्षरता, जीपीएस समस्याएं और लोगों की अनिच्छा जैसी चुनौतियों के लिए पहले से तैयारियां की जा रही हैं।
यह जनगणना न केवल भारत की जनसंख्या और जातिगत संरचना को समझने में मदद करेगी, बल्कि डिजिटल तकनीक के उपयोग से इसे और भी पारदर्शी और कुशल बनाएगी।
ये भी पढ़े……..
उत्तर प्रदेश पुलिस police में 6,244 युवाओं को मिलेगा नियुक्ति पत्र, पारदर्शिता और हाईटेक प्रणाली से होगी भर्ती
भीषण गर्मी के बीच एक बार फिर आग ने बरपाया कहर
ताज़ा तरीन खबरें पाने के लिए हमारे व्हाट्सएप चैनल को फॉलो करें।