खंडित मूर्तियों को भू-विसर्जन कर मनाया स्वच्छता ही सेवा अभियान

गणेश चतुर्थी से अगले दिन से अनन्त चतुर्दशी तक गणपति
विसर्जन होता रहा। यमुना में मूर्ति विसर्जन पर प्रतिबंध लगा कर 50 हज़ार जुर्माने का प्रावधान रखा
गया। गणपति विसर्जन की समस्या झेल रहे लोग अरसे से घाट-घाट पर विसर्जन के बाद मुख विहीन
हाथ कटे क्षत विक्षत हालत में गणेश प्रतिमाओं को देख कर विचलित होते आए हैं।

सड़क किनारे पेड़ों
की जड़ों में अनदेखी के शिकार ये माटी के पुतले जहां विदेशियों की आलोचना के कारण बनते हैं तो
प्रदूषण के लिए भी गंभीर समस्या उत्पन्न करते हैं।

पिछली बार से 15 दिन पहले से ही ग्रेडिड रिस्पांस
एक्शन प्लान लागू कर देने से, पार्किंग फीस बढ़ा देने से, ओड ईवन लागू करने और स्वच्छता ही सेवा
अभियान के तहत बैनर हाथ में पकड़ कर साफ़ सुथरी सड़क पर कैमरा स्क्रीन के फ्रेम में झाड़ू फेरने से
और ना ही मूर्ति विसर्जन पर 50 हज़ार वसूलने से प्रदूषण कंट्रोल नहीं किया जा सकता।,

यमुना में चोरी
छुपे विसर्जन और तीन लोगों की डूबने से मौत ही भ्रष्टाचार की पोल खोल कर रख देती है। राजधानी
नागरिक कल्याण समिति अध्यक्ष गोल मार्किट इको फ्रेंडली विसर्जन घाट के संयोजक प्रीतम धारीवाल
चिंता व्यक्त करते हुए कहते हैं सरकार प्रदूषण और पर्यावरण सुधार पर गंभीर नहीं है। मूर्ति विसर्जन पर

प्रतिबंध लगा देने से विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक और धर्म निरपेक्ष देश भारत में ना तो गणेश पूजा
बंद होगी, ना देव प्रतिमा बननी बंद होंगी और ना उनकी विदाई विसर्जन बंद होगा। जब कण कण में
भगवान होते हैं तो पीओपी में भी तो होंगे। मूर्ति बनाने वाले मजदूरों को बेरोजगार करना कोई धार्मिक
कृत नहीं है।

विसर्जन के बाद इन मूर्तियों को सम्मान पूर्वक ब्रह्मलीन करना चाहिए वेद शास्त्र भी यही
कहते हैं। विसर्जन के लिए कोई वैकल्पिक घाट नहीं बनाया गया है ना ही टूटी-फूटी मूर्तियों का क्या करें
नहीं बताया गया है। धारीवाल कहते हैं कि बाल्टी या टब में मूर्ति विसर्जन धर्म संगत नहीं है। गोल
मार्किट आरडब्ल्यूए फेडरेशन ने उद्यान मार्ग पार्क में इको फ्रेंडली विसर्जन घाट बना कर इस समस्या
समाधान पर कारगर पहल की है।

इस घाट पर 20 सितंबर से 29 सितंबर तक दिल्ली के कोने कोने से
15 हजार लोग आकर ऊंगली भर से आठ फुट तक की 1200 मूर्तियां विसर्जन कर चुके हैं। लोग टूटी
फूटी मूर्तियां भी लाए। मिट्टी की मूर्तियां सरोवर में विसर्जित की गईं, क्षति ग्रस्त मूतियां तीन बार
डुबकी लगवा कर पीपल -बड़ वृक्ष के नीचे रखी गईं। पूजा सामग्री और फूलों को डी ब्लॉक मंदिर मार्ग के
कंपोज प्लांट में खाद बनाने को दे दी गई, इस खाद को कोई भी आरडब्ल्यूए फ्री में ले सकता है।


फैडरेशन अध्यक्ष प्रीतम धारीवाल ने बताया कि घाट के समीप गड्ढा खोदा गया है जहां टूटी फूटी किसी
भी धातु से बनी मूर्तियां भू विसर्जित करके हमने स्वच्छता ही सेवा दिवस मनाया। बड़ी संख्या में आया
आसान कपड़ो को बिछाया गया, मिट्टी के कलश गगरिया रखी गईं, उस पर मूर्तियां लिटाई गईं, प्रसाद
फल नारियल रख कर उन पर गंगा जल छिड़का गया।

हवन पूजन कर कर उन्हें भू विसर्जन की विदाई
दी गई।

डीआइजेड एरिया के एरिया वेलफेयर ऑफिसर अशोक जायसवाल, एन डी एम सी के पूर्व एम ओ
एच डॉक्टर रमेश कुमार, सेक्टर-2 से सतीश राय, डी ब्लॉक टाइप थ्री मंदिर मार्ग से जगदीश तोमर
द्वारका से विशाल और पूजा वालिया, समिति महासचिव चेतना सोलंकी और सहयोगी चुन्नी, सुबोध तथा
जय कुंवर का सराहनीय योगदान रहा।राजधानी नागरिक कल्याण समिति द्वारा आयोजित इको फ्रेंडली
विसर्जन घाट को डीएम नई दिल्ली का मार्ग दर्शन मिलता रहा, सिविल डिफेंस वेलेंटियर और मंदिर मार्ग
पुलिस स्टेशन के पुलिस कर्मियों की निगरानी रही।

एन डी एम सी के सिविल, जल सप्लाई, हेल्थ, रोड़
लाइट की भागीदारी मिलती रही।

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